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इन्साल्वेंसी प्रोसेस के जरिए वह 20 से 23 हजार करोड़ रुपए जुटा लेगी. जिसपर अब इस फैसले के बाद संकट आ गया है.
कर्ज के बोझ तले दबे भारत के दिग्गज कारोबारी अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. अब अनिल अंबानी के उस कंपनी को बड़ा झटका लगा है जिसने देश की टेलीकॉम को एक नई दिशा दी थी. इकोनॉमिक्स टाइम्स की टेलीकॉम विंग ईटी टेलीकॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन्स ( DoT) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के लाइसेंस को रिन्यू करने से इनकार कर दिया है. डीओटी ने साफ कर दिया है कि कंपनी जबतक बकाये का भुगतान नहीं कर देती तबतक कंपनी का लाइसेंस रिन्यू नहीं होगा.
अनिल अंबानी के रिलायंस कंम्युनिकेशंस पर 26,000 करोड़ रुपए का बकाया है जिसका भुगतान करने में कंपनी अबतक विफल रही है. अगर अब कंपनी इस बकाये का भुगतान नहीं करती है तो कंपनी को अपना स्पैक्ट्रम सरेंडर करना पड़ेगा. अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस पहले से ही दिवालिया प्रक्रिया से जूझ रही है.
एसेट भी बेच नहीं पाएगी कंपनी
अपना एसेट भी नहीं बेच पाएगी कंपनी
अगर कंपनी बकाये का भुगतान नहीं कर पाती है और स्पैक्ट्रम सरेंडर करने की नौबत आती है तो कंपनी अपना एसेट भी नहीं बेच पाएगी. कंपनी फिलहाल इनसॉल्वेंसी प्रोसेस के तहत अपने एसेट सेल की योजना पर काम कर रही थी. लेकिन डीओटी के इस फैसले के बाद यह योजना भी लटक सकती है. हालांकि इसस पहले रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने विभाग को बताया था कि आईबीसी कोड के मुताबिक कंपनी का बकाया मोरेटोरियम के तहत आता है और उसे इसका भुगतान करने की जरूरत नहीं है.
इसी महीने खत्म हो रहा है लाइसेंस
रिलायंस कम्युनिकेशंस का लाइसेंस जुलाई में यानी इसी महीने खत्म हो रहा है. इसलिए कंपनी ने डीओटी से अनुरोध किया था कि उसका लाइसेंस रिन्यू किया जाए. लेकिन डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस ने अनुरोध को ठुकराते हुए लाइसेंस रद्द करने की बात साफ कर दी है. कंपनी के पास पूरे देश का टेलिकॉम लाइसेंस है और देश के 22 टेलिकॉम सर्कल में से 14 में 850 मेगाहर्ट्ज बैंड स्पेक्ट्रम है.
अब आगे क्या हो सकता है
टेलिकॉम इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक लाइसेंस रद्द होने की सूरत में कंपनी DoT के फैसले के खिलाफ आरपी टेलिकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) में अपील कर सकता है. कंपनी ने विभाग से अनुरोध किया था कि उसका लाइसेंस 20 साल के लिए बढ़ाया जाए. हालांकि कंपनी का फोन कारोबार साल 2019 में ही खत्म हो चुका है. लेकिन मार्च 2020 से कंपनी 4जी डाटा सर्विसेज, फिक्स्ड लाइन कम्युनिकेशंस, डाटा सेंटर सर्विसेज और इंटरप्राइज सर्विसेज के जरिए काम कर रही है. लेकिन अब इस फैसले के बाद कंपनी के वजूद पर भी संकट मंडरा रहा है. फोन बिजनेस बंद होने के बाद कंपनी दूसरी कंपनियों के लिए अप्रत्यक्ष रुप से बिजनेस चला रही है. कंपनी को उम्मीद थी कि इन्साल्वेंसी प्रोसेस के जरिए वह 20 से 23 हजार करोड़ रुपए जुटा लेगी. जिसपर अब इस फैसले के बाद संकट आ गया है.
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