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इस देश में हुई बड़ी घोषणा, अब सेना में नहीं होगा महिला कैडेट्स का वर्जिनिटी टेस्ट!

jantaserishta.com
13 Aug 2021 8:47 AM GMT
इस देश में हुई बड़ी घोषणा, अब सेना में नहीं होगा महिला कैडेट्स का वर्जिनिटी टेस्ट!
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इंडोनेशिया (Indonesia) की सेना ने महिला कैडेट्स (Female cadets) के होने वाले वर्जिनिटी टेस्ट्स (Virginity tests) को खत्म करने की घोषणा की है. साल 1965 से ही इंडोनेशिया की सेना (Indonesia Army), नेवी (Indonesia Navy) और एयरफोर्स में भर्ती होने वाली महिलाओं के वर्जिनिटी टेस्ट्स (Virginity tests) होते थे लेकिन अब इसे पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया गया है. इस फैसले का इंडोनेशिया के मानवाधिकार संगठन और फेमिनिस्ट्स ग्रुप (Feminists groups) ने स्वागत किया है.

आर्मी जनरल और चीफ ऑफ स्टाफ एंडीका पेरकासा (Andika Perkasa) ने रिपोर्टर्स के साथ बातचीत में कहा कि अब वर्जिनिटी टेस्ट्स(Virginity tests) को खत्म कर दिया गया है. हमारा मानना है कि सेलेक्शन प्रोसेस पुरुषों और महिलाओं के लिए एक जैसा ही होना चाहिए.
वही इस मामले में बात करते हुए इंडोनेशिया सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि इंडोनेशिया की आर्मी में भर्ती होने वाली किसी भी महिला का चाहे हाइमन टूट गया था या आंशिक रूप से टूटा हुआ था, अब इससे फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि ये पहले टेस्ट का हिस्सा था लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं है.
गौरतलब है कि इस प्रक्रिया को टू फिंगर टेस्ट के तौर पर जाना जाता है. इस टेस्ट में जो भी महिला फेल हो जाती थी उसे इंडोनेशिया की आर्मी में भर्ती के योग्य नहीं माना जाता था. इंडोनेशिया की सेना में पहले माना जाता था कि इस प्रक्रिया के सहारे वे महिलाओं की नैतिकता का टेस्ट करते हैं.
हालांकि पिछले कई सालों से इंडोनेशिया के कई डॉक्टर्स ये कहते रहे हैं कि वर्जीनिटी टेस्ट्स का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. इस देश में मानवाधिकार संगठन और फेमिनिस्ट्स ग्रुप्स कई सालों से इन टेस्ट्स के खिलाफ अपना प्रदर्शन दर्ज कराते रहे हैं. सेना के साथ ही अब नेवी और एयरफोर्स में भी ये टेस्ट्स नहीं होंगे.
नेशनल कमीशन ऑन वॉयलेंस अगेंस्ट वीमेन की हेड एंडी येंत्रियानी ने रायटर्स के साथ बातचीत में कहा कि इस तरह के टेस्ट्स की कभी कोई जरूरत थी ही नहीं. वही साल 2018 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने इन टेस्ट्स को खत्म करने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि इस तरह के टेस्ट्स महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.
गौरतलब है कि साल 2014 में ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी जांच के बाद खुलासा किया था कि इंडोनेशिया की सिक्योरिटी फोर्स में महिलाओं को वर्जिनिटी टेस्ट्स से गुजरना पड़ता है. इसी इंवेस्टिगेशन में सामने आया था कि साल 1965 से हजारों महिलाएं इस टेस्ट से गुजर चुकी हैं.
यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूं तो वर्जिनिटी टेस्ट्स जैसे अवैज्ञानिक टेस्ट्स ज्यादातर देशों में नहीं होते हैं लेकिन अफगानिस्तान, मिस्त्र और इंडोनेशिया जैसे लगभग 20 देशों में अब भी ऐसे टेस्ट्स को कई कारणों से किया जाता रहा है और इन देशों के मानवाधिकार संगठन लगातार इन टेस्ट्स को खत्म करने की बात करते रहे हैं.


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