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आतंकियों को पालने पोषने वाले पाकिस्तान पर एफएटीएफ की कड़ी कार्रवाई सामने आ सकती है
इस्लामाबाद, एएनआइ। आतंकियों को पालने पोषने वाले पाकिस्तान पर एफएटीएफ की कड़ी कार्रवाई सामने आ सकती है। पेरिस में होने वाली एफएटीएफ की प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप की बैठक से पहले विशेषज्ञों ने कहा है कि FATF की ओर से सौंपे गए बिंदुओं का पालन नहीं करने की वजह से पाकिस्तान के 'ब्लैक लिस्ट' में खिसकने की संभावना है। सनद रहे पाकिस्तान पहले से ही एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' में शामिल है।
जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है। आलम यह है कि उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे संगठनों के सामने घुटने टेक दिए हैं। विशेषज्ञों ने एक लेख में कहा है कि पाकिस्तान सरकार के हाल के फैसलों से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के आदेशों का उल्लंघन होने की संभावनाएं हैं।
मालूम हो कि पाकिस्तान जून 2018 से अपने FATF की ग्रे सूची में है। एफएटीएफ की कार्रवाई ने आयात, निर्यात और अंतर्राष्ट्रीय कर्ज पाकिस्तान की पहुंच को सीमित करके उस पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सत्ता में आने के बाद से लगातार FATF की ग्रे लिस्ट से बचने के लिए ताकत लगा रहे हैं लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल पाई है।
पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डा. नाफी सरदार का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि FATF पाकिस्तान को 'ब्लैक लिस्ट' कर देता है तो उस पर आर्थिक दंड और अन्य प्रतिबंधात्मक उपाय लगाए जाएंगे। ऐसे में पहले से ही डांवाडोल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को करारी चोट लगेगी। ग्लोबल स्ट्रैट व्यू के मुताबिक इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि इस बार एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान को 'ब्लैक लिस्ट' किया जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि इमरान खान की सरकार ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार की मदद के लिए मुस्लिम देशों से दुनिया से धन इकट्ठा करने के लिए अफगानिस्तान राहत कोष शुरू करने का फैसला किया है जबकि पाकिस्तान की आवाम इस फैसले की आलोचना कर रही है। पाकिस्तान के लोगों का मानना है कि तालिबान सरकार की मदद पाकिस्तान के लिए अच्छी नहीं होगी। नतीजतन FATF की ओर से प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
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