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व्हाइट हाउस ने कहा कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होता है तो
व्हाइट हाउस ने कहा कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होता है तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को यह मंजूर नहीं होगा। वह इसका समर्थन नहीं करेंगे। युद्ध प्रभावित इस देश में शांति स्थापित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि वह (बाइडन) इसका समर्थन करेंगे।'
तालिबान को लेकर पूछा गया था यह सवाल
जेन साकी ने यह जवाब उस सवाल पर दिया, जिसमें उनसे पूछा गया कि क्या बाइडन अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को मंजूर करेंगे। उन्होंने बताया, 'अफगानिस्तान में अगला कदम उठाने की प्रक्रिया जारी है।'
सैनिकों की होनी है वापसी
वर्ष 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय बलों ने तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से बेदखल किया था। इसके बाद अमेरिका और तालिबान के बीच फरवरी, 2020 में एक समझौता हुआ था। इसके तहत अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता, स्थायी संघर्ष विराम और अफगानिस्तान से सभी विदेशी सैनिकों की वापसी होनी है। यहां अभी करीब ढाई हजार अमेरिकी सैनिक हैं। इसी समझौते के तहत अफगान सरकार और तालिबान के बीच सीधी वार्ता चल रही है।
तालिबान के लिए पाक पनाहगाह
अमेरिका के पूर्व शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल जोसेफ एफ डनफोर्ड ने कहा कि अफगान तालिबान के लिए पाकिस्तान पनाहगाह है और इस देश के मदरसों से यह आतंकी संगठन अस्तित्व में आया। ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के पूर्व चेयरमैन ने अमेरिकी सांसदों से यह भी कहा कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी से अफगानिस्तान में गृहयुद्ध छिड़ सकता है।
Gulabi
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