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बाइडन ने सुपुर्द की कमला को एटमी बम की चाबी, जानें इस पर क्या कहते हैं एक्‍सपर्ट

Gulabi
21 Nov 2021 2:53 PM GMT
बाइडन ने सुपुर्द की कमला को एटमी बम की चाबी, जानें इस पर क्या कहते हैं एक्‍सपर्ट
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की कोलोनोस्कोपी के दौरान शुक्रवार को अमेरिकी सत्ता की बागडोर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की कोलोनोस्कोपी के दौरान शुक्रवार को अमेरिकी सत्ता की बागडोर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के पास आ गई थी। एनेस्थीसिया के प्रभाव के चलते बाइडन अमेरिका के संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने की स्थिति में नहीं थे। यही कारण है कि कमला हैरिस को यह जिम्मेदारी मिली। अमेरिका के 250 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब देश की सत्ता किसी महिला के हाथ में थी। हालांक‍ि, यह पहली बार नहीं हुआ है, जब अमेरिका के किसी राष्ट्रपति ने अपनी शक्तियों को उपराष्ट्रपति को ट्रांसफर किया है। इससे पहले भी राष्ट्रपति की शक्तियां उपराष्ट्रपति को स्थानांतरित की गई हैं। आखिर इसके क्‍या मायने हैं। उनकी शक्ति में कितना विस्‍तार हुआ था।
आखिर क्‍यों इतनी शक्तिशाली हुई कमला
1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति के पद पर इस समय कमला हैरिस विराजमान है। इस समय वह दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला हैं। अमेरिका के राष्‍ट्रपति होने के नाते वह अमेरिकी फौज की सुप्रीम कमांडर हैं। पदभार ग्रहण करने के बाद उन्‍हें एक प्‍लास्टिक कार्ड सौंपा गया। यह कोई सामान्‍य कार्ड नहीं होता बल्कि यह अमेरिका की एटमी मिसाइलों का लांच कोड था। इस कार्ड के होने की वजह से कमला जब चाहे अमेरिका की हजारों मिसाइलों को लांच करने का आदेश दे सकती हैं।
2- राष्ट्रपति को मिसाइल दागने का आदेश देने के लिए मिसाइल लांच आफ‍िसर को अपनी पहचान साबित करनी होगी। इस काम में यह प्लास्टिक कार्ड काम आता है, जो हमेशा राष्ट्रपति के पास होता है। यही वो कार्ड होता है जो किसी अमरीकी राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्‍स बनाता है। इसकी मदद से राष्‍ट्रपति एटमी हमले का आदेश दे सकता है। इसे अक्‍सर बिस्‍कुट कहकर पुकारा जाता है। कमला कुछ सेकेंड के अंदर मिसाइलों के असर का आकलन करके एटमी हमले का निर्णय ले सकती हैं। यानी कमला यह फैसला लेने में सक्षम हैं। उन्‍होंने कहा कि इन मिसाइलों की क्षमता इतनी अधिक है कि पलक झपकते ही यह पूरी मानवता को समाप्‍त कर सकती हैं।
3- अमेरिका में इन मिसाइलों को पनडुब्बियों से लेकर पहाड़ों के नीचे तक काफी गोपनीय तौर पर तैनात किया गया हैं। राष्‍ट्रपति के एक इशारे पर यह एक मिनट के अंदर अपने मिशन की ओर रवाना हो सकती हैं। प्रो. पंत ने कहा कि इसके लिए एक मिसाइल लांच अधिकारी तैनात किया जाता है। उसे मिनटमेन कहा जाता है। राष्‍ट्रपति का आदेश म‍िलने पर मिनटमेन एक मिनट के अंदर मिसाइलों को लांच कर सकते हैं। मिनटमेन हर वक्‍त कंम्‍यूटर की मानिटर एवं निगरानी करता है। राष्‍ट्रपति किसी और देश से अमेरिका पर हमला होने पर या हमले की आशंका होने पर एटमी मिसाइल लांच करने का आदेश दे सकता है। उन्‍होंने कहा कि रूस या चीन अगर अमेरिका में मिसाइल हमला करते हैं तो वहां से इन मुल्‍कों तक अमेरिकी मिसाइल को पहुंचने में स‍िर्फ आधा घंटे लगेंगे।
4- प्रो. पंत ने कहा कि अमेरिकन राष्‍ट्रपति सदैव चमड़े का एक ब्रीफकेस लेकर चलता है। इसकी एक बड़ी वजह है। उन्‍होंने कहा कि अगर दुश्‍मन देश अमेरिका पर पनडुब्‍बी से हमला करता है तो सिर्फ 15 मिनट में अमेरिका को निशाना बनाया जा सकता है। ऐसे में अमेरिकी राष्‍ट्रपति के पास एटमी हमला करने का फैसला करने के लिए बेहद कम वक्‍त मिलेगा। इसलिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति के पास हमेशा यह ब्रीफकेस रहता है। इस ब्रीफकेस को न्‍यूक्लियर फुटबाल कहते हैं, जो आजकल सुर्खियों में हैं।
5- उन्‍होंने कहा कि इस ब्रीफकेस में ऐसी मशीने होती हैं जिससे अमेरिकी राष्‍ट्रपति स्‍ट्रैटेजिक कमांड के प्रमुख और उप राष्‍ट्रपति समेत कुछ खास लोगों से बात कर सकते हैं, ताकि आपातकाल में एटमी हमले का निर्णय तत्‍काल लिया जा सके। इतना ही नहीं इस ब्रीफकेस में एक कार्टून की किताब सरीखा एक पेज भी होता है। इसमें एटमी मिसाइलों की ताकत और उनके प्रभाव का ब्‍यौरा रहता है। राष्ट्रपति से आदेश के बाद मिनटमैन जमीन पर तैनात एटमी मिसाइल से हमला करने वाले या फिर पनडुब्बी में तैनात मिसाइलों को लांच कोड से खोला जाता है और हमले के लिए तैयार किया जाता है।
बड़ा सवाल, क्‍या सनक में राष्‍ट्रपति ले सकता है हमले का फैसला
प्रश्‍न यह है कि क्‍या अमेरिकी राष्‍ट्रपति इसके लिए स्‍वतंत्र है। यदि राष्‍ट्रपति अपनी सनक में बिना वजह ही एटमी हमला करने का आदेश देता है तो क्‍या इसके रोकने के कुछ प्रावधान हैं। अमेरिका में इसके लिए यह उपबंध है कि ऐसी सूरत में ज्‍वाइंट चीफ आफ स्‍टाफ कमेटी के प्रमुख इस आदेश को मानने से इन्‍कार कर सकता है। हालांकि, इसकी आशंका नहीं के बराबर की गई है, क्‍योंकि राष्‍ट्रपति के मातहत काम करने वाले लोगों को आदेश मानने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्‍होंने कहा कि यह सच है कि अगर कोई राष्‍ट्रपति सनक में हमला का आदेश जारी करता है तो उसे रोक पाना बेहद मुश्किल है।
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