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बाइडन ने पूर्वी यूरोप में तैनात की सेना, अमेरिका-रूस में बढ़ सकती है तनातनी

Bhumika Sahu
29 Jan 2022 7:02 AM GMT
बाइडन ने पूर्वी यूरोप में तैनात की सेना, अमेरिका-रूस में बढ़ सकती है तनातनी
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बाइडन ने रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बढ़ाने के लिए शुक्रवार को पूर्वी यूरोप में एक छोटी सेना की तैनाती की घोषणा की है। जबकि पेंटागन के शीर्ष अधिकारी कूटनीति तौर पर इस मामले से हटना चाह रहे थे।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन-रूस संकट के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बढ़ाने के लिए शुक्रवार को पूर्वी यूरोप में एक छोटी सेना की तैनाती की घोषणा की है। जबकि पेंटागन के शीर्ष अधिकारी कूटनीति तौर पर इस मामले से हटना चाह रहे थे। बता दें कि कुछ दिन पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने पश्चिमी नेताओं से अपने देश की सीमाओं पर बड़े पैमाने पर रूसी सेना के आने पर "घबराहट" दर्शाई थी जिसके बाद पुतिन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन डी-एस्केलेशन की आवश्यकता पर सहमत हुए थे।

पेंटागन के शीर्ष अधिकारी कूटनीति पर दे रहे जोर
इस संकट के बीच पेंटागन के शीर्ष अधिकारियों ने कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करते हुए कहा कि रूस के पास अब पूरे यूक्रेन को धमकी देने के लिए पर्याप्त सैनिक और उपकरण हैं। दूसरी ओर शीर्ष अमेरिकी जनरल, संयुक्त प्रमुखों के अध्यक्ष मार्क मिले ने चेताते हुए कहा कि इस तरह का कोई भी संघर्ष दोनों पक्षों के लिए 'भयानक' होगा। मिले ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग हताहत होंगे।
टाला जा सकता है युद्ध
मिले के साथ बोलते हुए, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि युद्ध को अभी भी टाला जा सकता है क्योंकि संघर्ष अपरिहार्य नहीं है। ऑस्टिन ने कहा कूटनीति के लिए अभी भी समय और स्थान है। उन्होंने कहा कि पुतिन सही काम भी कर सकते हैं, ऐसा कोई कारण नहीं है कि इस स्थिति को संघर्ष में बदलना पड़े।
पुतिन ने किया था खारिज
मैक्रों के एक सहयोगी के अनुसार, पुतिन ने एक घंटे से अधिक समय तक चले एक काल में फ्रांसीसी नेता से कहा कि उनकी कोई आक्रामक योजना नहीं है। बाइडन ने फिर भी कहा कि वह जल्द ही पूर्वी यूरोप में नाटो की उपस्थिति को बढ़ाने के लिए अमेरिकी सैनिकों की एक छोटी संख्या भेजेंगे क्योंकि तनाव बढ़ रहा है।
यूक्रेन-रूस में इसलिए छाया है संकट
बताते चलें कि बीते दिनों यूक्रेन की पूर्वी सीमा पर रूस ने लाखों सैनिकों की तैनाती की थी। जिसके बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है। रूस के संभावित हमले के खतरे को देखते हुए नाटो फोर्सेस ने भी सैन्य गतिविधि बढ़ा दी थी।


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