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जलक्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधि बढ़ा दी है. वो अंतरराष्ट्रीय नियमों की भी परवाह नहीं कर रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन शुक्रवार को जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा (Japan PM Fumio Kishida) के साथ एक ऑनलाइन बैठक करेंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है. रूस के साथ यूक्रेन को लेकर बढ़ते तनाव के बीच इस वार्ता का महत्व भी बढ़ गया है (Conflict on Ukraine). अधिकारी ने बताया कि बैठक में अमेरिका और जापान के गठबंधन की ताकत का विशेष रूप से उल्लेख किया जाएगा, जो हिंद-प्रशांत (Indo Pacific) और दुनियाभर में शांति एवं सुरक्षा की आधारशिला है.
अधिकारी के अनुसार, 'बाइडेन और किशिदा स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत और एक मजबूत कानून-आधारित व्यवस्था के लिए अपने साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे.' उन्होंने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रमण को लेकर दोनों नेताओं के एक मजबूत एवं एकजुट प्रतिक्रिया व्यक्त करने की उम्मीद है (US Japan Relations). दरअसल इस समय पूरे यूरोप और अमेरिका को इस बात का डर सता रहा है कि रूस यूक्रेन पर कभी भी हमला कर सकता है. इस समय सीमा पर स्थिति काफी खतरनाक है.
तमाम द्विपक्षीय मुद्दों पर करेंगे बात
अधिकारी ने बताया, वे आम खतरों को दूर करने के लिए द्विपक्षीय गठबंधन को प्रगाढ़ करने और कोविड-19 (Covid-19), जलवायु संकट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर घनिष्ठ सहयोग का विस्तार करने तथा क्वाड के माध्यम से नयी एवं उभरती प्रौद्योगिकियों और साइबर सुरक्षा (Cyber Security) पर साझेदारी बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे. अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया किया कि जापान एक महत्वपूर्ण भागीदार है और बाइडेन प्रशासन के लिए अमेरिका-जापान गठबंधन सर्वोच्च प्राथमिकता है.
पहले सुगा से मिले थे जो बाइडेन
किशिदा नवंबर में निर्वाचित हुए थे और दोनों नेताओं के बीच यह पहली बैठक होगी. अप्रैल में, बाइडेन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा के साथ व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी, जो वार्ता के लिए वाशिंगटन आए थे. दोनों नेताओं की ये बैठक एशियाई क्षेत्र की शांति के लिहाज से भी जरूरी मानी जा रही है. उत्तर कोरिया और चीन के कारण क्षेत्र में अशांति काफी बढ़ गई है. उत्तर कोरिया आए दिन मिसाइल टेस्ट (North Korea Missile Test) कर रहा है. इस साल उसने इसमें काफी तेजी कर दी है. कभी वो समुद्र में मिसाइल दाग रहा है, तो कभी ट्रेन से दाग रहा है. जबकि चीन (China Japan Tensions) ने जलक्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधि बढ़ा दी है. वो अंतरराष्ट्रीय नियमों की भी परवाह नहीं कर रहा है.
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