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तालिबान और अफगानिस्तान में जारी हिंसा के बीच, बातचीत पर आए दोनों सरकार, शांति वार्ता शुरू

Neha Dani
23 Feb 2021 9:52 AM GMT
तालिबान और अफगानिस्तान में जारी हिंसा के बीच, बातचीत पर आए दोनों सरकार, शांति वार्ता शुरू
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समयसीमा में देरी पर वाशिंगटन में सहमति बनती दिख रही है.

करीब एक महीने तक हुई देरी, हिंसा में वृद्धि एवं राजनयिक हलचलों के बीच तालिबान (Taliban) और अफगान सरकार (Afghan Government) बातचीत की टेबल आ गए हैं. पश्चिमी एशियाई देश कतर (Qatar) में दोनों के बीच शांति वार्ता (Peace Talks) दोबारा शुरू हो गई है. तालिबान के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद नईम (Taliban spokesman Dr. Mohammad Naeem) ने सोमवार रात को ट्वीट कर शांति वार्ता (Peace Talks) बहाल होने की जानकारी दी.

हालांकि, तालिबान प्रवक्ता द्वारा वार्ता 'सौहार्द्रपूर्ण' माहौल में होने और इसे आगे भी जारी रखने की प्रतिबद्धता के अलावा कोई जानकारी नहीं दी गई. नईम ने बताया कि पहला काम वार्ता का एजेंडा तय करना है. इस बैठक की विस्तृत जानकारी नहीं मिली है और वार्ता की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि हिंसा में कमी लाना और अंतत: संघर्ष विराम पर पहुंचने को लेकर बैठक में प्रमुखता से चर्चा की गई.
जनवरी में रुक गई थी दोनों पक्षों के बीच वार्ता
पाकिस्तान (Pakistan) ने बार-बार कहा है कि अफगानिस्तान समस्या (Afghanistan Issue) का समाधान राजनीतिक जरिए से ही निकल सकता है. साथ ही तालिबान को वार्ता की मेज पर लाने का श्रेय उसी को दिया जाता है. पाकिस्तान ने करीब 15 लाख अफगान शरणार्थियों को शरण दी है. गौरतलब है कि दोनों पक्षों द्वारा एजेंडे के विषयों की सूची दिए जाने के महज कुछ दिनों बाद ही जनवरी में वार्ता अचानक खत्म हो गई थी. अब दोनों पक्षों को अपनी-अपनी मांगों से आगे बढ़ने एवं वार्ता के विषयों पर सहमति बनानी है.

तालिबान ने कहा- वार्ता के लिए तैयार, लेकिन तुरंत नहीं होगा संघर्ष विराम
अफगान सरकार, अमेरिका और NATO की प्राथमिकता हिंसा की घटनाओं में कमी लाना और संघर्ष विराम के लिए सहमति बनाना है. दूसरी ओर, तालिबान का कहना है कि वह वार्ता के लिए तैयार है लेकिन तुरंत संघर्ष विराम का विरोध कर रहा है. अमेरिका पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन द्वारा फरवरी 2020 में तालिबान के साथ हुए समझौते की समीक्षा कर रहा है जिसमें एक मई तक अंतरराष्ट्रीय सैनिकों को हटाने की बात कही गई थी. तालिबान इस अवधि में मामूली विस्तार का भी विरोध कर रहा है. लेकिन सैनिकों को वापस बुलाने की समयसीमा में देरी पर वाशिंगटन में सहमति बनती दिख रही है.


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