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मधुमक्खियां सेकेंड में सूंघकर लगाएंगी कोरोना संक्रमण का पता, वैज्ञानिकों ने दिया प्रशिक्षण

Neha Dani
10 May 2021 6:44 AM GMT
मधुमक्खियां सेकेंड में सूंघकर लगाएंगी कोरोना संक्रमण का पता, वैज्ञानिकों ने दिया प्रशिक्षण
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फिर अपने कौशल का इस्तेमाल आसपास के वातावरण में कोरोना वायरस एयरोसोल की जांच में करते हैं. 

नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने मधुमक्खियों को गंध से कोविड-19 का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया है. रिसर्च को वैगनिंगन यूनिवर्सिटी के जैव-पशु चिकित्सा की प्रयोगशाला में 150 से ज्यादा मधुमक्खियों पर किया गया. वैगनिंगन यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने शुगर-पानी का घोल देकर मधुमक्खियों को प्रशिक्षित किया. इसके लिए कोरोना से संक्रमित मिंक का गंध इस्तेमाल किया गया.

कुत्तों के बाद अब मधुमक्खियां करेंगी कोरोना की पहचान?
अंत में देखा गया कि मक्खियां चंद सेंकड में संक्रमित सैंपल की पहचान कर सकीं और फिर घड़ी की तरह अपनी जीभ शुगर-पानी के घोल को इकट्ठा करने के लिए बाहर निकाला. गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब सूंघकर कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए जानवरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे पहले शोधकर्ता कुत्तों को इंसानी लार या पसीना से कोविड-19 के निगेटिव और पॉजिटिव सैंपल के बीच अंतर करने के लिए प्रशिक्षित कर चुके हैं और जिसमें सटीकता का बड़ा लेवल सामने आया था.
छोटे पैमाने पर जर्मनी में किए गए रिसर्च से पता चला है कि कुत्ते कोरोना पॉजिटिव सैंपल की पहचान कर सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना वायरस के मेटाबोलिक बदलाव संक्रमित शख्स के तरल पदार्थ के गंध को थोड़ा अलग गैर संक्रमित शख्स के मुकाबले बनाता है. लेकिन शोधकर्ता अभी भी यकीन नहीं कर रहे हैं कि क्या जानवर लैब से बाहर कोविड-19 के मामलों का सूंघकर पता लगाने के लिए सबसे अच्छा हो सकता है.
वैज्ञानिकों ने गंध से पता लगाने के लिए किया प्रशिक्षित
पशु चिकित्सक न्यूरोलॉजिस्ट होलगर वोल्क नेचर को बताते हैं, "कोई नहीं कह रहा है कि ये RT-PCR मशीन की जगह ले सकते हैं, लेकिन वो बहुत होनहार हो सकते हैं." PCR मशीन का इस्तेमाल लैब तक्नीशियन लार के टेस्ट की प्रक्रिया करने के लिए करते हैं. कम से कम उन जगहों या देशों में जहां संसाधन का अभाव है या अत्यधिक क्षमता वाले लैब उपकरण नहीं हैं, विशेष जानवरों का कोरोना की पहचान के लिए इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है. वैगनिंगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक मशीन के प्राथमिक अवस्था पर काम कर रहे हैं जो खुद से एक बार में कई मधुमक्खियों को प्रशिक्षित कर सकती है, फिर अपने कौशल का इस्तेमाल आसपास के वातावरण में कोरोना वायरस एयरोसोल की जांच में करते हैं. 


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