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बांग्लादेश: 'मैरिटल रेप' को जुर्म बनाने की मांग उठी, बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से जबरदस्त आक्रोश

Deepa Sahu
25 Nov 2020 2:06 PM GMT
बांग्लादेश: मैरिटल रेप को जुर्म बनाने की मांग उठी, बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से जबरदस्त आक्रोश
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बांग्लादेश:‘मैरिटल रेप’ को जुर्म बनाने की मांग उठी, बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से जबरदस्त आक्रोश

बांग्लादेश में जिस तरह बलात्कार के एक आरोपी को बरी कर दिया गया,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : बांग्लादेश में जिस तरह बलात्कार के एक आरोपी को बरी कर दिया गया, उससे इस सवाल पर फिर से बहस तेज हो गई है। पिछले दो महीनों से बांग्लादेश बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से दहल रहा है। इसको लेकर समाज में बेचैनी फैली हुई है। साथ ही देशभर में बड़े प्रदर्शन हुए हैं। लेकिन मंगलवार को रंगपुर में महिला एवं बाल उत्पीड़न निरोधक ट्रिब्यूनल ने एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि पेश किए गए साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं।

कोर्ट की इस बात के लिए तारीफ हुई है कि उसने सिर्फ दो कार्य दिवसों की सुनवाई के बाद फैसला दे दिया। लेकिन जो फैसला आया, उससे व्यापक निराशा हुई है। विशेष पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने कहा कि पीड़िता अपना बयान ठीक से नहीं दे सकी। लेकिन बलात्कार के मामलों में ऐसा अकसर होता है। जो पीड़िताएं कमजोर तबकों और छोटी उम्र की होती हैं, उनके लिए सामाजिक वर्जना वाले मामले में अदालत में बोलना मुश्किल हो जाता है।

इसलिए अब सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में वर्जना तोड़ने की मुहिम चलाने पर विचार कर रहे हैं। गुजरे महीनों में इस विषय पर आई जागरूकता की ही ये मिसाल है कि अब देश में बलात्कार कानून में संशोधन कर विवाह संबंध के भीतर बलात्कार (मैरिटल रेप) को अपराध बनाने के लिए एक अर्जी कोर्ट में डाली गई है। बांग्लादेश लीगल एड ट्रस्ट, मानुशेर जनानो फाउंडेशन और रेप लॉ रिफॉर्म कोअलिशन नामक संगठनों के सदस्यों की तरफ से ये याचिका सुप्रीम कोर्ट के हाई कोर्ट डिवीजन के सामने पेश की गई है।

बांग्लादेश के मौजूदा बलात्कार कानून के तहत मैरिटल रेप सिर्फ उन मामलों को ही माना जाता है, जिसमें पत्नी की उम्र 13 साल से कम हो। पिछले महीने यहां के प्रमुख अखबार- ढाका ट्रिब्यून की तरफ से कराए गए एक सर्वे में शामिल 63.8 फीसदी लोगों ने कहा कि वैवाहिक संबंध के भीतर बलात्कार स्वीकार्य है। सामाजिक कार्यकर्ता तकबीर हुडा ने इस अखबार से कहा- मोटे तौर पर बांग्लादेश का समाज यह मानने से ही इनकार करता है कि मैरिटल रेप होता है। इसकी वजह लोगों में बैठी ये पुरातन धारणा है कि शादी करने का मतलब है कि पत्नी पति को यह हक दे देती है कि वह जब चाहे उससे यौन संबंध बना सकता है। बांग्लादेश का तजुर्बा यह है कि 13 साल से कम उम्र की पत्नियां भी शायद ही कभी बलात्कार की शिकायत दर्ज कराती हैं। 13 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नियों के लिए तो ऐसा करने का कानूनी विकल्प ही मौजूद नहीं है।

जानकारों का कहना है कि इस सामाजिक माहौल में कोर्ट में मैरिटल रेप की याचिका के पक्ष में दलील देना एक बड़ी चुनौती है। याचिकाकर्ता संगठन रेप लॉ रिफॉर्म कोअलिशन का कहना है कि वह अदालत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में 2015 में हुए सर्वे को अपनी दलीलों का आधार बनाएगा। उस सर्वे में शामिल 27.3 फीसदी महिलाओं ने कहा था कि उन्हें कभी ना कभी अपने पति से यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है। फिर बांग्लादेश के कानून में यह अजीब विरोधाभास है कि बाल विवाह कराना या इसमें शामिल होना फौजदारी अपराध है, लेकिन ये जुर्म साबित होने के बावजूद विवाह की वैधता खत्म नहीं होती। इसलिए रोक सिर्फ 13 साल की उम्र से छोटी पत्नी से यौन संबंध बनाने पर है। 13 साल बाद पति को इसकी इजाजत मिल जाती है।

बांग्लादेश की दंड संहिता 1860 में अंग्रेजों ने बनाई थी। उसमें मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया। जबकि खुद इंग्लैंड में 1991 में मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर दिया गया। संयुक्त राष्ट्र की 2011 की एक रिपोर्ट के मुताबिक तब तक 52 देशों में मैरिटल रेप को जुर्म बनाया जा चुका था। बांग्लादेश के सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि बांग्लादेश के कानून में भी ऐसे संशोधन की जरूरत है, जिससे मैरिटल रेप में शामिल होने वालों की सजा का प्रावधान हो जाए।

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