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बांग्‍लादेश: कट्टरपंथियों के हंगामे और उत्‍पात के बीच एक सकारात्‍मक पहल, ट्रांसजेंडर लोगों के लिए खुला पहला मदरसा

Gulabi
8 Nov 2020 9:20 AM GMT
बांग्‍लादेश: कट्टरपंथियों के हंगामे और उत्‍पात के बीच एक सकारात्‍मक पहल, ट्रांसजेंडर लोगों के लिए खुला पहला मदरसा
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राजधानी ढाका में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए एक मदरसा खोला गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बांग्‍लादेश में कट्टरपंथियों के हंगामे और उत्‍पात के बीच एक सकारात्‍मक पहल भी सामने आई है। राजधानी ढाका में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए एक मदरसा खोला गया है। मुस्लिम बहुल देश में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए की गई इस पहल को अपनी तरह का अभूतपूर्व कदम माना जा रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआइ ने वेबसाइट बीडीन्यूज-24 डॉटकॉम की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि इस मदरसे में किसी भी उम्र के 100 से ज्‍यादा छात्र पढ़ाई कर सकते हैं।

गैर आवासीय इस्लमिक इस मदरसे का नाम 'दावतुल कुरान थर्ड जेंडर मदरसा' है जो कामरंगिरचार में लोहार ब्रिज ढाल इलाके में स्थित है। बीते शुक्रवार को इस मदरसे का उद्घाटन हुआ जिसमें 40 ट्रांसजेंडरों ने हिस्‍सा लिया। इस मदरसे के अधिकारी इस्लामिक शिक्षा देने के अलावा ट्रांसजेंडर लोगों के लिए अलग से तकनीकी शिक्षा विभाग खोलने की योजना भी बना रहे हैं। मदरसे के एक प्रशिक्षक अब्दुल अजीज हुसैनी कहते हैं कि यह पहल दुनिया के लिए यादगार है।

हुसैनी ने कहा कि बांग्‍लादेश में ट्रांसजेंडरों के लिए पहले इस्लामिक स्कूल की शुरुआत हुई है। ट्रांसजेंडर लोग समाज में उपेक्षा का सामना करते हैं। वे मस्जिद में प्रार्थना भी नहीं कह सकते लेकिन अब उन्हें कुरान की तालीम दी जाएगी। यही नहीं उनके लिए तकनीकी शिक्षा की शुरुआत भी की जाएगी। उन्‍होंने यह भी बताया कि प्रशिक्षक वैसे भी शहर में आठ जगहों पर कुरान की शिक्षा दे रहे हैं।

हिजारा कल्‍याण फाउंडेशन के अध्‍यक्ष मितू ने कहा कि ट्रांसजेंडर लोगों को यदि रोजगार भी मुहैया कराया जाए तो वे देश की संपत्ति हो सकते हैं। 27 वर्षीय ट्रांसजेंडर निशि कहती हैं कि अब उन्‍होंने स्‍कूल जाना शुरू किया है। बचपन में उन्‍हें स्‍कूल जाने से वंचित रखा गया। उन्‍होंने कहा, मैंने पांच से छह साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था। मैं कुछ सीखना चाहती हूं ताकि बाजार में जाकर कोई नौकरी कर सकूं। पढ़ाई के बाद मुझे रोजगार के लिए ज्‍यादा भटकने की जरूरत नहीं होगी...

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