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PAK के पूर्व क्रिकेटर की बेटी की बेंगलुरू के डॉक्‍टरों ने बचाई गई जान, पाकिस्‍तानी बोले-इंडिया ने जीता दिल

HARRY
22 Oct 2022 4:55 AM GMT
PAK के पूर्व क्रिकेटर की बेटी की बेंगलुरू के डॉक्‍टरों ने बचाई गई जान, पाकिस्‍तानी बोले-इंडिया ने जीता दिल
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: भारतीयों की प्रतिभा के पूरी दुनिया में प्रशंसक हैं वहीं अब पड़ोसी दुश्‍मन मुल्‍क पाकिस्‍तान के लोग भी भारत के हुनर के मुरीद होकर गुणगान कर रहे हैं। भारमतीय केवल अपनी प्रतिभा ही नहीं अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाते हैं। ऐसा एक बार फिर भारतीयों ने साबित कर दिया है यहीं कारण है कि पाकिस्‍तानी भी भारत की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं।

दरअसल, पाकिस्‍तान के पूर्व क्रिकेटर सिंकदर बख्‍त की दो साल की बेटी अमायरा जो कि मुकोपॉलीसेकेराइडोसिस टाइप I (MPS-I) नामक एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित थी उसकी जान बचाने के लिए उसका बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट होना था। जिसके लिए उनके किक्रेटर पिता सिकंदर ने अन्‍य किसी देश में इलाज कराने के बजाय बेंगलुरू के एक नामी अस्‍पताल के डॉक्‍टरों की काबलियत पर विश्‍वास किया।

अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर कराची से बेंगलुरू अपनी छोटी लड़की अमायरा की जान बचाने के लिए अपनी पत्‍नी के साथ आए और बेंगलुरु के नारायण हेल्थ सिटी में भर्ती करवाया। सिकंदर ने ही बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के जरिए अपनी छोटी बेटी को बचाने के लिए अपना बोन मैरो डोनेट किया था। चार महीने बाद सिकंदर की बेटी अब काफी ठीक है। उसके स्‍वास्‍थ्‍य में काफी सुधार है।

MPS-I एक दुर्लभ बीमारी है जो लाइसोसोमल अल्फा- L-iduronidase एंजाइम की कमी का कारण बनती है जो शुगरअणुओं की लंबी श्रृंखला को तोड़ती है, जिसे ग्लाइकोसामिनोग्लाइकेन्स कहा जाता है।इसके कारण मस्तिष्क और आंखों सहित शरीर के विभिन्न अंगों में शर्करा के अणुओं का निर्माण होता है, जो विभिन्न घातक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, जिसमें मस्तिष्क और आंखों पर इसके हानिकारक प्रभाव भी होता है।

सिकंदर की पत्‍नी और अमायरा की मां सदफ खान ने कहा कि अमायरा सिर्फ 18 महीने की थी, जब उसकी हालत का पता चला था। बच्चे को शुरू में केवल कान में बार-बार होने वाला संक्रमण था और कुछ नहीं। उनकी लगातार समस्या का कारण जानने के लिए विभिन्न डॉक्टरों के साथ परामर्श के माध्यम से ही उन्हें बोन डेनसिटी की समस्या का पता चला, जिसके कारण इसे एमपीएस -1 के रूप में ट्रीटमेंट किया गया। यह हमारे लिए एक झटके था जब हमें बेटी की इस बीमारी का पता चला। हमने काफी रिसर्च के बाद अच्‍छे ट्रीटमेंट के लिए बेंगलुरू के इस हॉस्पिटल को सलेक्‍ट किया। उन्‍होंने कहा यहां पर आई इसलिए हमारे बच्‍चे को बेहतरीन ट्रीटमेंट हुआ और उसकी अब तबीयत सुधर रही है।


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