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सरकार के पक्ष का समर्थन किया था.
ऑस्ट्रेलिया की संघीय सरकार (Australian Government) ने ज्यादातर नागरिकों के देश से बाहर जाने पर रोक लगाई थी, जिसे एक समूह ने कानूनी चुनौती दी. लेकिन मंगलवार को अदालत ने इसे खारिज कर दिया है. देश में यह पाबंदी इस आशंका से लगाई गई है कि जब नागरिक बाहर जाएंगे तो उनके माध्यम से कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) देश में आ सकता है. ऑस्ट्रेलिया विकसित लोकतंत्रों में इकलौता ऐसा देश है, जिसने अपने नागरिकों और स्थायी निवासियों के देश से बाहर जाने पर रोक लगाई है.
यहां के लोग बेहद अपवाद भरी परिस्थितियों में ही बाहर जा सकते हैं और इसके लिए भी उन्हें 'ठोस वजह' बतानी होगी. शक्तिशाली बायोसिक्युरिटी कानून (Bio Security Law of Australia) के तहत सरकार द्वारा आपातकालीन आदेश जारी करने से ज्यादातर ऑस्ट्रेलियाई मार्च 2020 से देश से बाहर नहीं जा पाए हैं. नागरिक स्वतंत्रता के पैरोकार समूह 'लिबर्टी वर्क्स' ने संघीय अदालत में मई माह की शुरुआत में कहा था कि स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट के पास ऐसी शक्ति नहीं है जिससे वह यात्रा पाबंदी को वैधानिक रूप से लागू कर सकें
नागरिकों को हो रही परेशानी
इस पाबंदी की वजह से ऑस्ट्रेलिया के हजारों नागरिक शादियों या दुख में शामिल नहीं हो पाए, अपने बीमार रिश्तेदारों की देखभाल करने नहीं जा सके और नवजात बच्चों को देखने नहीं जा पाए. समूह ने कहा कि इस तरह का आदेश किसी व्यक्ति विशेष पर लागू किया जा सकता है, ना कि पूरी आबादी पर (Australia Travel Ban). तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, 'यह माना जा सकता है कि यात्रा पाबंदी सख्त है और यह व्यक्ति के अधिकारों में हस्तक्षेप करती है लेकिन संसद इससे भलीभांति अवगत है.
सरकार ने बताया जरूरी
सरकार का कहना है कि सीमा पर सख्त नियंत्रण के कारण ही ऑस्ट्रेलिया में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में कामयाबी मिली है. इसके साथ ही अदालत ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा (International Travel in Covid) पर पाबंदी को बरकरार रखा है. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने भारत से आने वाले अपने नागरिकों पर भी रोक लगा दी थी, जिसके चलते उसके हजारों नागरिक यहीं फंस गए थे. हालांकि बाद में सरकार ने कुछ विमानों को भेज नागरिकों की वापसी कराई थी. इस आदेश को भी अदालत में चुनौती दी गई थी और कोर्ट ने सरकार के पक्ष का समर्थन किया था.
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