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एक महीने से ज्यादा वक्त तक चले संघर्ष में 5000 से ज्यादा लोगों की जाने के बाद नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में आर्मीनिया |
एक महीने से ज्यादा वक्त तक चले संघर्ष में 5000 से ज्यादा लोगों की जाने के बाद नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में आर्मीनिया पर जीत का जश्न अजरबैजान में शानदार तरीके से मनाया गया।खास बात यह रही कि इसमें अजरबैजान के करीबी दोस्त तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान भी पहुंचे। उनकी मौजूदगी में देश की सेना ने परेड का आयोजन किया जिसमें उसने अपने और आर्मीनिया से जब्त किए हथियार पेश किए। दोनों देशों के बीच संघर्ष के बाद आर्मीनिया के साथ शांति समझौता किया गया था।
अजरबैजान के हिस्से बड़ा क्षेत्र
शांति समझौते के तहत विवादित क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा अजरबैजान के हिस्से आया है। करीब 6 हफ्ते तक चले संघर्ष के बाद करीब एक महीने पहले दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था। इसे अजरबैजान में जीत की तरह देखा गया लेकिन आर्मीनिया में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने स्थिति से निपटने को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की। दरअसल, नागोर्नो-काराबाख का क्षेत्र अजरबैजान में आता है लेकिन साल 1994 में अलगाववादी जंग के बाद से यह आर्मीनियाई समर्थित खेमे के पास था।
तुर्की ने किया अजरबैजान का समर्थन
गुरुवार को हुई परेड में 3000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें एर्गोदान की मौजूदगी ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। एर्दोगान ने लगातार अजरबैजान का समर्थन किया है। माना जाता है कि इसकी मदद से ही तुर्की क्षेत्र में अपनी ताकत बनाए रखना चाहता है। यहां तक कि परेड में तुर्की की कमांडो ब्रिगेड ने भी हिस्सा लिया और तुर्की के ड्रोन भी डिस्प्ले किए गए। अजरबैजान के राष्ट्रपति इलिहम अलियेव ने तुर्की को धन्यवाद भी दिया।
आर्मीनिया से जंग में अजरबैजान की क्रूरता, नागोरनो-काराबाख में बरसा रहा क्लस्टर बम
नागोरनो-काराबाख इलाके में मौजूद पश्चिमी पत्रकारों ने इसकी पुष्टि की है कि अजरबैजान की सेना बेहद घातक क्लस्टर बमों का इस्तेमाल कर रही है। इन बमों में से निकले बिना फटे छोटे-छोटे बम नागोरनो-काराबाख की राजधानी स्टेपनकर्ट में बिखरे देखे जा सकते हैं। नागोरनो-काराबाख के अधिकारियों का कहना है कि इस जंग में उसके अब तक 220 सैनिक मारे जा चुके हैं। वहीं आर्मीनिया सरकार का दावा है कि 21 आम नागरिक अजरबैजान के हमले में मारे गए हैं और 82 अन्य बुरी तरह से घायल हो गए हैं।
अजरबैजान के अधिकारियों ने अभी अपने सैनिकों के मारे जाने का ब्योरा नहीं दिया है। हालांकि उसने बताया कि अब तक 25 आम नागरिक मारे गए हैं और 127 अन्य घायल हो गए हैं। बता दें कि दुनिया के 109 देशों ने कई साल तक नुकसान पहुंचाने वाले क्लस्टर बम के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। अभी तक न तो आर्मीनिया और न ही अजरबैजान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में अजरबैजान के क्लस्टर बम से आने वाले समय में गलती से बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे जाएंगे। बताया जा रहा है कि अजरबैजान को हथियारों की आपूर्ति इजरायल और तुर्की कर रहे हैं।
आर्मीनिया का कहना है कि अजरबैजान के सैनिक तोपों और रॉकेट से स्टेपनकर्ट को निशाना बना रहे हैं। उधर, अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि आर्मीनियाई सुरक्षा बल उसके गांजा शहर को निशाना बनाने के बाद अब तीन अन्य कस्बों में बमबारी कर रहे हैं। तमाम अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बाद भी दोनों में से कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिख रहा है। स्टेपनकर्ट में करीब 50 हजार लोग रहते हैं और यह शहर भारी बमबारी से धुएं और राख से भरता जा रहा है। सड़कों पर रॉकेट और क्लस्टर बम पडे़ हैं। आम नागरिकों को जमीन के अंदर बने शेल्टर के अंदर अपनी जिंदगी बितानी पड़ रही है।
नागोरनो-काराबाख में तनाव के बीच तुर्की ने आर्मीनिया को धमकी दी है कि दुनिया हमारी दहाड़ को सुनेगी। इस धमकी के बाद आर्मीनिया और अजरबैजान की जंग में रूस और तुर्की के इसमें कूदने का खतरा पैदा हो गया है। रूस जहां आर्मीनिया का समर्थन कर रहा है, वहीं अजरबैजान के साथ नाटो देश तुर्की और इजरायल है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आर्मेनिया और रूस में रक्षा संधि है और अगर अजरबैजान के ये हमले आर्मेनिया की सरजमीं पर होते हैं तो रूस को मोर्चा संभालने के लिए आना पड़ सकता है। आर्मीनिया में रूस का सैन्य अड्डा भी है। इस युद्ध में अगर परमाणु हथियारों से लैस सुपरपावर रूस आता है तो महायुद्ध का खतरा पैदा हो सकता है। फ्रांस भी खुलकर आर्मीनिया के समर्थन में आ गया है।
एर्दोगान का तंज, 'आर्मीनिया लेगा सबक'
अलियेव ने आर्मीनिया पर लड़ाई शुरू करने का आरोप लगाया। एर्दोगान ने भी अपने भाषण में आर्मीनिया पर निशाना साधा और उम्मीद जताई कि यरवन अपनी हार से सबक लेगा और क्षेत्र में एक नए युग की तैयारी के लिए कदम उठाएं। उन्होंने अजरबैजान को समर्थन जारी रखने की बात भी दोहराई। गौरतलब है कि संघर्ष के दौरान इस बात के आरोप लगते रहे कि तुर्की ने अजरबैजान की मदद के लिए सीरिया से आतंकी भेजे हैं। दोनों देशों ने इन आरोपों का खंडन किया।
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इस बारे में खुद को रिपब्लिक घोषित करने वाले आर्तसाख के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने फेसबुक पर जानकारी दी है। वगरम पोगोस्यान ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि इंटेलिजेंस डेटा के मुताबिक अजरबैजान के 3 हजार सैनिकों की जान जा चुकी है और ज्यादातर के शव अभी न्यूट्रल जोन में ही हैं और उन्हें ट्रांसपोर्ट करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने हालात पर चिंता जताते हुए संघर्ष को खत्म करने की अपील की थी।
आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता आर्तस्रन होवानिसयन ने कहा कि शुक्रवार तक 24 घंटे में 540 अजरबैजानी सैनिकों की जान जा चुकी है और 700 घायल हो गए हैं। उनके मुताबिक 45 हथियारबंद वाहन, 6 प्लेन, 3 हेलिकॉप्टर और 6 ड्रोन भी उड़ाए जा चुके हैं। आर्मीनिया ने यह भी दावा किया था कि उसने अजरबैजान के 4 किलर ड्रोन और सैन्य विमान को मार गिराया है। इससे पहले आर्मीनिया ने दावा किया था कि उसके एक सुखोई विमान को तुर्की के F-16 ने नष्ट कर दिया है।
अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा है कि देश के सुरक्षाबलों ने और जगहों पर कब्जा कर लिया है। बयान जारी कर कहा गया है कि सेना ने दुश्मन से क्षेत्र को छुड़ा लिया है। दावा किया गया है कि सैनिकों के साथ दुश्मन के हथियार को भी तबाह कर दिया गया है। मंत्रालय के मुताबिक आर्मीनिया और आर्तसाख के 230 टैंक और दूसरे हथियारबंद वाहनों को उड़ा दिया गया है। इनके अलावा लॉन्च रॉकेट सिस्टम, मोर्टार, 38 एयर डिफेंस सिस्टम, 10 कमांड कंट्रोल सेंटरों को फड़ा दिया गया है। यही नही, S-200 एयर डिफेंस सिस्टेम को भी उड़ाने का दावा किया गया है।
आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच दशकों से चला आ रहा तनाव पिछले रविवार को बढ़ गया था जब दोनों देशों ने एक-दूसरे के ऊपर नागोर्नो-काराबाख में लाइन ऑफ कॉन्टैक्ट पर उकसावे का आरोप लगाया था। यह इलाका खुद को 1991 में सोवियत अजरबैजान से आजादी के बाद गणतंत्र घोषित कर चुका है। ताजा झड़प के बाद दोनों ओर सैन्य के साथ नागरिक नुकसान भी हुआ है।
रूस ने कराया दोनों देशों में समझौता
आपको बता दें कि सितंबर के आखिर में शुरू हुए संघर्ष में दोनों ओर 44 दिनों में कुल 5,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। अजरबैजान की सेना नागोर्नो-काराबाख के अंदर दाखिल हो गई जिसके बाद आर्मीनिया को शांति समझौता स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसमें ज्यादातर क्षेत्र अजरबैजान के हिस्से में चला गया। पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया था कि रूस के हस्तक्षेप से आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच शांति पर सहमति बन गई है। पुतिन ने यह भी कहा है कि युद्धग्रस्त क्षेत्र नागोर्नो-काराबाख में शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए रूसी शांतिरक्षक बलों को इस इलाके में तैनात किया जाएगा।
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