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यह कब्जा लगातार बढ़ता रहा और अब यरुशलम के अधिकतर हिस्से पर इजरायल का अधिकार है।
कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया ने यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के पिछली सरकार के फैसले को पलट दिया है। विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा कि लेबर पार्टी की सरकार ने तेल अवीव को फिर से इजरायल राजधानी के रूप में मान्यता देने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल और फिलिस्तीन शांति वार्ता के जरिए यरुशलम के मुद्दे को सुलझाएं। इजरायल के प्रधानमंत्री याइर लापिड ने ऑस्ट्रेलिया के बदले हुए रुख पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने एक बयान में कहा कि रूशलम स्थायी रूप से इजरायल की अविभाजित राजधानी है और इसमें कुछ भी नहीं बदलेगा।
यरुशलम को लेकर इतना विवाद क्यों है
यरुशलम भूमध्य और मृत सागर से घिरा हुआ दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एख है। यरुशलम को यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही धर्म के लोग पवित्र मानते हैं। यहां पर यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल टेंपल माउंट स्थित है। अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान बेहद पाक मानते हैं। इस्लाम में मान्यता है कि अल-अक्सा मस्जिद ही वह जगह है जहां से पैगंबर मोहम्मद जन्नत पहुंचे थे। इसके अलावा ईसाइयों की मान्यता है कि यरुशलम में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। यहां स्थित सपुखर चर्च को ईसाई धर्म में बेहत पवित्र जगह बताया जाता है।
यरुशलम को राजधानी बताता है फिलिस्तीन
इजरायल के अलावा फिलिस्तीन भी यरुशलम को अपनी राजधानी बताता है। दुनिया के नक्शे पर फिलिस्तीन नाम का कोई देश अस्तित्व में नहीं है। इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र समेत अधिकतर देश इसे मान्यता देते हैं। संयुक्त राष्ट्र के ज्यादातर देश यरुशलम के मुद्दे पर फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं। इजरायल के 1948 में आजाद होने के एक साल बाद यरुशलम का बंटवारा हुआ था। बाद में 1967 में इजरायल ने 6 दिनों तक चले युद्ध के बाद पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया था। यह कब्जा लगातार बढ़ता रहा और अब यरुशलम के अधिकतर हिस्से पर इजरायल का अधिकार है।
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