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म्यांमार में पुलिस ने आंग सान सू ची को हिरासत में लिया, सेना ने लगाए थे कई आरोप

Gulabi
26 Dec 2021 3:38 PM GMT
म्यांमार में पुलिस ने आंग सान सू ची को हिरासत में लिया, सेना ने लगाए थे कई आरोप
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फरवरी में म्यांमार में तख्तापलट के बाद वहां की पुलिस ने नेता आंग सान सू ची पर कई आरोप लगाए
फरवरी में म्यांमार में तख्तापलट के बाद वहां की पुलिस ने नेता आंग सान सू ची पर कई आरोप लगाए। पुलिस के दस्तावेजों के अनुसार उन्हें 15 फरवरी तक के लिए कस्टडी में भेज दिया गया। आंग सान सू ची पर आयात निर्यात के नियमों के उल्लंघन करने और गैर कानूनी ढंग से दूरसंचार यंत्र रखने के आरोप लगाए गए थे। उस वक्‍त यह जानकारी मिली थी कि उन्हें राजधानी नेपीडाव में उनके घर में बंद रखा गया था। अपदस्त राष्ट्रपति विन मिन पर भी कई आरोप लगाए गए थे। उन पर कोरोना महामारी के दौरान लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाने के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था। उन्हें भी दो सप्ताह के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा गया था।
1- एक फरवरी को सेना के सत्ता अपने हाथों में लेने के बाद से न तो सू ची की तरफ से और न ही राष्ट्रपति विन मिन की तरफ से कोई बयान आया और न ही उन्हें सार्वजनिक तौर पर कहीं देखा गया। तख्तापलट की अनुवाई करने वाले सेना के जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने देश में एक साल का आपातकाल लगा दिया था। इस दौरान देश का कामकाज देखने के लिए ग्यारह सदस्यों की एक सैन्य सरकार चुनी गई है। सेना ने तख्तापलट को ये कहते हुए सही ठहराया है कि बीते साल हुए चुनावों में धांधली हुई थी। इन चुनावों में आंग सान सू ची का पार्टी नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी ने एकतरफा जीत हासिल की।
2- कोर्ट के समक्ष पेश रिपोर्ट के अनुसार सू ची ने गैर कानूनी तरीके से वाकी-टाकी जैसे दूरसंचार यंत्रों का आयात करने का आरोप है। नेपीडाव में उनके घर पुलिस को ये यंत्र मिले हैं। विन मिन पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के तहत आरोप लगाए गए थे। उन पर कोरोना महामारी के दौरान लगाई गई पाबंदियों का उल्लंघन कर 220 गाड़ियों के काफ‍िले के साथ अपने समर्थकों से मिलने जाने का आरोप था।
3- गौरतलब है कि तीन दशकों में म्यांमार की सेना ने लगातार कोशिश की कि वह सू ची के कारण पैदा हुए खतरे को कम कर सके, लेकिन उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई और सेना अपना कोशिशों में नाकाम होती रही। इसके साथ जब भी उन्हें चुनावों में उतरने का मौका मिला उन्होंने भारी बहुमत से चुनाव जीता। अब तक एक ही बार वह चुनाव जीत नहीं पाईं थी ये वह चुनाव थे जो 10 साल पहले सैन्य सरकार ने कराए थे। उस वक्त उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी गई थी क्योंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज था।
4- सू ची के समर्थकों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का ऐलान किया। कई अस्पतालों में डाक्टरों ने हड़ताल की है या सेना के इस कदम के विरोध में वो खास लाल, काले रंग के रिबन लगाकर विरोध जताए। उनका कहना है कि वो सेना के साथ सहयोग नहीं करेंगे। आंदोलनकारी आंग सान सू ची को तुरंत रिहा किए जाने की मांग कर रहे थे। म्यांमार में तख्तापलट के बाद से ही सेना ने रात का कर्फ्यू लगा दिया। यहां सड़कों पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए। सेना ने यहां कई राजनेताओं को भी हिरासत में ले लिया था।
आखिर कौन हैं आंग सान सू ची
वर्ष 2015 के नवंबर महीने में सू ची के नेतृत्व में नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी पार्टी ने एकतरफा चुनाव जीत लिया। यह म्यांमार के इतिहास में 25 सालों में हुआ पहला चुनाव था, जिसमें लोगों ने खुलकर हिस्सा लिया था। म्यांमार की स्टेट काउंसलर बनने के बाद से आंग सान सू ची ने म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में जो रवैया अपनाया उसकी काफी निंदा हुई थी। लाखों रोहिंग्या ने म्यांमार से पलायन कर बांग्लादेश में शरण ली थी। आंग सान सू ची म्यांमार की आजादी के नायक रहे जनरल आंग सान की बेटी हैं। 1948 में ब्रिटिश राज से आजादी से पहले ही जनरल आंग सान की हत्या कर दी गई थी। सू ची उस वक्‍त सिर्फ दो साल की थीं। 1990 के दशक में सू ची को दुनिया भर में मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली महिला के रूप में देखा गया, जिन्होंने म्यांमार के सैन्य शासकों को चुनौती देने के लिए अपनी आजादी त्याग दी। 1989 से 2010 तक सू ची ने लगभग 15 साल नजरबंदी में गुजारे। वर्ष 1991 में नजरबंदी के दौरान ही सू ची को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया।
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