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भारत और नेपाल के बीच रिश्‍तों को बिगाड़ने की कोशिशों में लगा, क्‍या चीन पर बनेगी 'सीक्रेट' रणनीति?

Neha Dani
16 July 2022 5:54 AM GMT
भारत और नेपाल के बीच रिश्‍तों को बिगाड़ने की कोशिशों में लगा, क्‍या चीन पर बनेगी सीक्रेट रणनीति?
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विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रचंड सत्‍ताधारी गठबंधन के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण हैं।

काठमांडू: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड, भारत की सत्‍ताधारी पार्टी बीजेपी के इनवाइट पर दो दिनों के दौरे पर आए हैं। वो यहां पर पार्टी प्रेसीडेंट जेपी नड्डा से तो मुलाकात करेंगे ही साथ ही साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी उनकी एक मीटिंग होगी। प्रचंड का ये दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का चीन के दौरे पर रवाना होने वाले हैं। इसके अलावा नेपाल और चीन दोनों ही आपसी सहमति से बॉर्डर तंत्र को मजबूत करने पर राजी हो गए हैं। दहल, नेपाल में एक प्रभावशाली नेता हैं और दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे चुके हैं। वो अक्‍सर ही नेपाल में चीन के दखल के खिलाफ आवाज उठाते आए हैं।


क्‍यों भारत आ रहे प्रचंड
दहल को भारत ने इसलिए भी बुलाया है ताकि नेपाल में चीन के दखल के बारे में पता चल सके। चीन पिछले दो सालों से भारत और नेपाल के बीच रिश्‍तों को बिगाड़ने की कोशिशों में लगा हुआ है। सूत्रों की मानें तो नेपाल और चीन की करीबियों से भारत काफी असहज महसूस कर रहा है। राजनयिक सूत्रों की मानें तो नई दिल्‍ली हमेशा इस बात के खिलाफ कभी नहीं है कि पूर्व पीएम केपीएस ओली और वर्तमान पीएम शेर बहादुर देउबा के बीच कोई गठबंधन हो।

प्रचंड का दौरा इस तरफ एक संकेत है कि भारत की तरफ नेपाल के हर प्रभावी नेता के लिए बातचीत के दरवाजे खुले हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत, नेपाल में देउबा-ओली गठबंधन के पक्ष में है न कि प्रचंड के अगुवाई वाली किसी गठबंधन सरकार के पक्ष में। रविवार को प्रचंड, बीजेपी के नेताओं से मुलाकात करेंगे। भारत रवाना होने से पहले प्रचंड ने त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर मीडिया से कहा, 'मेरे भारत दौरे पर कई ऐसे मुद्दों पर आपसी समझ बन सकेगी जो अभी तक इतिहास में अनसुलझे हैं। इस दौरे का मकसद ही इन समस्‍याओं को सुलझाना है।'


कितना लंबा बॉर्डर
नेपाल और भारत के बीच 1850 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है जो पांच राज्‍यों से गुजरता है- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्‍तर प्रदेश और उत्‍तराखंड। भारत और नेपाल के बीच रिश्‍ते उस समय से बिगड़ गए जब साल 2020 में एक गलत राजनीतिक नक्‍शा पड़ोसी देश की तरफ से जारी किया गया। इस नक्‍शे में नेपाल ने लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपना हिस्‍सा बताया था।

भारत की ओर से कहा गया कि ये उत्‍तराखंड राज्‍य के तहत आते हैं। उसने, नेपाल की तरफ से उठाए गए कदम को पूरी तरह से गलत बताया और चेतावनी दी कि बॉर्डर में एकतरफ बदलाव हरगिज बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। प्रचंड, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर नेपाल लौट जाएंगे। इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और विदेश सचिव विनय मोहन क्‍वात्रा से भी मिलेंगे।


चीन की एक टीम नेपाल में
दहल, ऐसे समय में भारत आए हैं जब हाल ही में चीन का एक प्रतिनिधिदल नेपाल के दौरे से लौटा है। इस दल को चीनी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के मुखियउा ल्‍यू जियाछो कर रहे हैं। इस प्रतिनिधिदल ने का मकसद लेफ्ट पार्टियों को एकजुट करना था। विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रचंड का भारत दौरा, भारत सरकार और पार्टी के हर हिस्‍से के लिए काफी जरूरी है। प्रचंड जैसे और नेताओं को भारत को इनवाइट करना चाहिए ताकि नेपाल में हो रहे राजनीतिक घटनाक्रमों को समझा जा सके और स्थिति का अंदाजा लगाया जा सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रचंड सत्‍ताधारी गठबंधन के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण हैं।


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