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हबल दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर को लेकर खगोल विज्ञानियों का दावा, अंधियारे आकाश में ऐसा होता है उजाला

Neha Dani
26 Nov 2020 6:59 AM GMT
हबल दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर को लेकर खगोल विज्ञानियों का दावा, अंधियारे आकाश में ऐसा होता है उजाला
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यह तस्वीर बारिश के सूरज की बादलों के बीच से आ रही किरणों की लग रही है।

यह तस्वीर बारिश के सूरज की बादलों के बीच से आ रही किरणों की लग रही है। कमोबेश वैसा ही कुछ है लेकिन लाखों-करोड़ों गुना बड़े स्तर पर। इसमें नजर आ रही चीजें सूरज या बादल नहीं अंतरिक्ष में मौजूद एक बड़े ब्लैकहोल द्वारा ज्वलनशील गैसों से पैदा किए उजाले, धूल के बादल और उनकी वजह से बनी परछाई हैं। हबल दूरबीन ने इसे आकाशगंगा आईसी 5063 के आसपास के क्षेत्र तैयार किया है।

हबल दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर को लेकर खगोल विज्ञानियों का दावा

खगोलविज्ञानी पीटर मैक्सम ने इन किरणों की खोज की है। उनका मत है कि धूल के बादलों से घिरा यह ब्लैकहोल इस आकाशगंगा के केंद्र में है। ब्लैकहोल दर्शन अंतरिक्ष में बहुत भारी विरोध गुरुत्वाकर्षण बल रखने के वाले ऐसे क्षेत्र हैं जो अभी तत्व यहां तक कि प्रकाश को भी निगल लेते हैं। खगोल विज्ञानियों का मानना है कि यह ब्लैकहोल अपने निकट मौजूद किसी बेहद गर्म गैस से उजाला पैदा कर रहा है क्योंकि वह चारों और धूल के घने बादलों से गिरा है।

इसलिए जब उजाले की किरण उन्हें चीरते हुए निकल रही हैैं तो अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसा नजारा बन रहा है। यह तस्वीर 7 मार्च और 25 नवंबर 2019 को हवन के व्हाइटफील्ड कैमरा 3 और अंतरिक्ष सर्वे के लिए लगाए गए एडवांस कैमरा से मिले डाटा से तैयार की गई है। आईसी 5065 पृथ्वी से करीब 15.6 करोड़ वर्ष दूर है। वहीं तस्वीर में नजर आ रहा घटनाक्रम 36 हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर है।

शुक्रयान मिशन से जुड़ेगा स्वीडन

भारत के शुक्र ग्रह ओर्बिटर अभियान 'शुक्रयान' के साथ स्वीडन जुड़ने जा रहा है। इसके तहत वह ग्रह पर खोज करने के लिए एक वैज्ञानिक उपकरण उपलब्ध कराएगा।भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन ने यह जानकारी दी।


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