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AstraZeneca: वैक्सीन लगने के बाद हो रही ब्लड क्लॉटिंग, जानें क्या है CSVT?

Gulabi
19 March 2021 1:14 PM GMT
AstraZeneca: वैक्सीन लगने के बाद हो रही ब्लड क्लॉटिंग, जानें क्या है CSVT?
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CSVT

ब्रिटेन (Britain) के मेडिकल रेगुलेटर ने बताया कि कुछ लोगों में एस्ट्राजेनेका की कोरोनावायरस वैक्सीन (AstraZeneca coronavirus) लगने के बाद उनके मस्तिष्क में एक दुर्लभ तरह का खून का थक्का (Blood Clot) बना है. 'मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलेटरी एजेंसी' (MHRA) ने कहा कि 1.1 करोड़ ब्रिटिश नागरिकों को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगी है. इसमें से पांच लोगों में 'सेरेब्रल साइनस वीन थ्रोमबोसिस' (CSVT) के लक्षण देखने को मिले हैं. ये मामले पुरुषों में देखने को मिले हैं, जिनकी उम्र 19 से 59 के बीच है.


ब्रिटेन के रेगुलेटर के मुताबिक, CSVT इतनी दुर्लभ बीमारी है कि विशेषज्ञ अभी तक ये सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं कि ये आम आबादी में कितनी सामान्य हैं. MHRA प्रमुख डॉक्टर जून रेन ने कहा, वैक्सीनेटेड मरीजों में खून के थक्के जमने के मामले वैक्सीन के बजाय खुद कोरोना की वजह से हुए होंगे. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने अनुमान लगाया है कि हर साल अमेरिका में दस लाख लोगों में से पांच लोगों में CSVT के मामले सामने आने आते हैं. वहीं, ब्रिटेन में हर साल 360 मरीज CSVT से प्रभावित होते हैं.
CSVT और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के बीच कोई संबंध, इसका सबूत नहीं
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, लो ब्लड प्रेशर, कैंसर, ब्लड क्लॉटिंग से जूझने वाले मरीजों पर CSVT का प्रभाव अधिक होता है. सिर में चोट लगने से भी ये बीमारी हो सकती है. MHRA ने कहा कि अभी तक इस बात के सबूत नहीं है कि CSVT और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के बीच कोई संबंध है. अपनी समीक्षा में MHRA ने नोट किया कि अधिकांश लोगों में कोरोना से मरने का जोखिम कम से कम 1,000 गुना अधिक है, इसका मतलब है कि वैक्सीन प्राप्त करना अभी तक का सबसे सुरक्षित विकल्प है.
क्या है CSVT?
यूरोप के ड्रग वॉचडॉग को महाद्वीप में वैक्सीनेट हुए लोगों में से 13 व्यक्तियों में CSVT के मामले मिले हैं. CSVT तब होता है, जब मस्तिष्क से खून ले जाने वाली नसें खून के थक्कों की वजह से जाम हो जाती है. इससे मस्तिष्क के भीतर खून का बहाव होने लगता है. इस बीमारी की पहचान ये है कि पहले मरीज को सिर दर्द होता है. फिर उसे धुंधला दिखाई देने लगता है और जल्द ही वह बेसुध हो जाता है. सही समय पर इलाज नहीं मिलने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.


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