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बुधवार रात पृथ्वी के करीब से गुजरेगा एस्टेरॉयड, टकराने की आशंका

Gulabi
20 Sep 2021 8:49 AM GMT
बुधवार रात पृथ्वी के करीब से गुजरेगा एस्टेरॉयड, टकराने की आशंका
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पेरिस के विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर के आकार से भी बड़ा क्षुद्र ग्रह एस्टेरॉयड बुधवार रात पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा

पेरिस के विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर के आकार से भी बड़ा क्षुद्र ग्रह एस्टेरॉयड बुधवार रात पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा। 2021 एनवाई-1 नाम का यह एस्टेरॉयड करीब तीन सौ मीटर लंबा है पर इसका व्यास काफी कम है। इस एस्टेरॉयड को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पृथ्वी के लिए संभावित खतरे की श्रेणी में रखा है। यह पृथ्वी से मात्र 14 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। चंद्रमा, पृथ्वी से 3,84,403 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि एस्टेरॉयड पृथ्वी के कितने करीब से गुजरेगा।

पृथ्वी की कक्षा में दाखिल होते ही इसकी रफ्तार 900 से 1000 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी। ऐसे में इसकी पृथ्वी से दूरी और भी कम हो जाएगी। नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के पब्लिक आउटरीच कार्यक्रम प्रभारी डॉ.वीरेंद्र यादव के अनुसार, इस एस्टेरॉयड पर वैज्ञानिक लंबे समय से नजर बनाए हुए थे। 22 सितंबर की रात को यह पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा। ऐसे में खगोल वैज्ञानिक और अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग इसे देख पाएंगे। यह बेहद चमकदार नजर आएगा।
खतरनाक एस्टेरॉइड्स पर नजर
नासा ने ऐसे 22 एस्टेरॉयड को पृथ्वी के लिए बेहद खतरनाक की श्रेणी में रखा है। दरअसल, वैज्ञानिकों को आशंका है कि यह पृथ्वी से टकरा सकते हैं। यह इस माह पृथ्वी के समीप से गुजरने वाला दूसरा एस्टेरॉयड है। अगर किसी तेज रफ्तार एस्टेरॉयड या फिर किसी दूसरी वस्तु की पृथ्वी से 46.5 लाख मील से ज्यादा करीब आने की संभावना होती है, तो उसे खगोलीय वैज्ञानिक पृथ्वी के लिए खतरनाक की श्रेणी में रखते हैं। फिलहाल नासा का सेंटरी सिस्टम ऐसे खतरनाक एस्टेरॉयड पर नजर रखता है।
क्या होते हैं एस्टेरॉयड
एस्टेरॉयड वह चट्टानें होती हैं, जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। सौर मंडल में ज्यादातर एस्टेरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति (यानी मार्स और ज्यूपिटर) की कक्षा की एस्टेरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वहीं इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए।
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