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कोरोना वैक्सीन का असरा: श्रीलंका ने भारत, जापान के साथ कंटेनर टर्मिनल के नए प्रस्ताव को दी मंजूरी

Neha Dani
3 March 2021 2:44 AM GMT
कोरोना वैक्सीन का असरा: श्रीलंका ने भारत, जापान के साथ कंटेनर टर्मिनल के नए प्रस्ताव को दी मंजूरी
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कथित उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कदमों का आह्वान किया था।

भारत की कोरोना वैक्सीन कूटनीति का असर दिखने लगा है। चीन के कर्ज में फंसे श्रीलंका ने दोस्ती का कदम बढ़ाते हुए अपने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कोलंबो पोर्ट के वेस्टर्न कंटेनर टर्मिनल के विकास का ठेका भारत को दे दिया है। पड़ोसी देश ने मंगलवार को इस आशय के प्रस्ताव के मंजूरी की जानकारी दी। टर्मिनल का विकास भारत और जापान के साथ बनी एक संयुक्त उद्यम कंपनी द्वारा किया जाएगा। श्रीलंका यह परियोजना 35 साल के पट्टे पर देगा। बता दें कि श्रीलंका सरकार ने इस निर्णय से कुछ सप्ताह पहले इसी बंदरगाह पर एक टíमनल के विकास का ठेका रद कर दिया था।एक अधिकृत बयान में कहा गया कि श्रीलंका मंत्रिमंडल ने सोमवार को कोलंबो साऊथ पोर्ट के वेस्ट कंटेनर टíमनल के विकास को मंजूरी दी है।

भारत तथा जापान सरकार के साथ एक संयुक्त कंपनी इसका विकास करेगी। बयान में कहा गया कि बनाओ, अपनाओ और सौंप दो (बीओटी) के आधार पर प्रस्तावित परियोजना को वार्ता कर रही समिति से मंजूरी मिलने के बाद उसे भारतीय उच्चायोग और जापानी दूतावास को भेजा गया था। इस संबंध में अदाणी पो‌र्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लि. के प्रस्ताव को भारतीय उच्चायोग ने मंजूरी दे दी। कुछ लोगों ने भारतीय उच्चायोग द्वारा मंजूर किए जाने के उल्लेख पर आश्चर्य जताया। उनका कहना था कि श्रीलंका में निवेश का फैसला यहां की सरकार करती है न कि भारतीय उच्चायोग। इससे पहले श्रीलंका पो‌र्ट्स अथारिटी ने पिछली सिरिसेन सरकार के समय मई 2019 में भारत और जापान के साथ इस बंदरगाह पर पूर्वी कंटेनर टíमनल (ईसीटी) के निर्माण का एक करार किया था। ट्रेड यूनियनों के विरोध के कारण उस समझौते को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पिछले महीने रद कर दिया। इसको लेकर भारत और जापान ने नाराजगी भी जाहिर की थी।
श्रीलंका ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) इस महीने उससे संबंधित अपना नया जवाबदेही और सुलह प्रस्ताव रखेगा तो भारत उसके साथ खड़ा होगा। इससे कुछ ही दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट में लिट्टे के साथ सशस्त्र संघर्ष के अंतिम चरण के दौरान मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कदमों का आह्वान किया था।


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