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ऐरो ऑफ टाइम न्यूरॉन्स के पेयर्स के बीच से पैदा हुआ इंटरेक्शन, समझिए साइंस के नजरिए से
Gulabi Jagat
24 Aug 2022 3:59 PM GMT
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ऐरो ऑफ टाइम (arrow of time) जिसे टाइम्स ऐरो (time's arrow) भी कहते हैं, वह वक्त यानी समय के यूनिडायरेक्शनल फ्लो को परिभाषित करता है। आसान शब्दों में कहें तो यह बताता है कि समय केवल एक दिशा में बहता है, अतीत से भविष्य की ओर। इस विचार के दशकों पुराना होने के बावजूद वैज्ञानिकों ने अभी तक इस घटना के पीछे के रहस्यों को जानने में बहुत तेजी नहीं दिखाई है। एक नए अध्ययन ने इस कॉन्सेप्ट पर प्रकाश डाला है।
ऐरो ऑफ टाइम, थर्मोडायनैमिक्स (thermodynamics) के दूसरे नियम से उपजा है। यह बताता है कि फिजिकल सिस्टम्स का माइक्रोस्कोपिक अरेंजमेंट्स ऑर्डर से डिसऑर्डर की ओर बढ़ता है। इस सिद्धांत के अनुसार अगर कोई सिस्टम ज्यादा अव्यवस्थित हो जाता है, तो उसके लिए अपना रास्ता खोजना और फिर से एक व्यवस्थित स्थिति में आना मुश्किल हो जाता है। यही सिद्धांत ऐरो ऑफ टाइम को भी मजबूत बनाता है।
थ्योरिटिकल साइंसेज के लिए CUNY ग्रेजुएट सेंटर इनिशिएटिव के रिसर्चर्स ने इस स्टडी को किया है। उन्होंने सिस्टम के विशिष्ट भागों और उनके बीच के इंटरेक्शंस को देखकर ऐरो ऑफ टाइम को डिकंपोज करने के तरीकों की तलाश की। रेटिना के अंदर फंक्शन करने वाले न्यूरॉन्स ऐसे भागों का एक उदाहरण हो सकते हैं। टीम ने एक क्षण को ऑब्जर्व किया कि टाइम ऑफ ऐरो को अलग-अलग टुकड़ों में तोड़ा जा सकता है। रिसर्चर्स ने नोट किया कि ऐरो ऑफ टाइम बड़े और जटिल ग्रुप्स के बजाय न्यूरॉन्स के पेयर्स के बीच सरल इंटरेक्शन से पैदा हुआ है।
फिजिकल रिव्यू लेटर्स में पब्लिश हुए पेपर के लेखकों में से एक पोस्टडॉक्टरल फेलो क्रिस्टोफर लिन ने कहा कि हमारी फाइंडिंग्स यह समझने की दिशा में पहला कदम प्रदान करते हैं कि हम रोजाना के जीवन में जिस ऐरो ऑफ टाइम को एक्सपीरियंस करते हैं, वह माइक्रोस्कोपिक डिटेल्स से कैसे निकलता है। लिन ने कहा कि यह रिजल्ट न्यूरोसाइंस रिसर्चर्स के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।
Gulabi Jagat
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