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क्या रूस में चल रही तख्तापलट की तैयारी? पर पुतिन का जाना क्यों पश्चिम पर पड़ेगा भारी!

Neha Dani
29 Aug 2022 5:43 AM GMT
क्या रूस में चल रही तख्तापलट की तैयारी? पर पुतिन का जाना क्यों पश्चिम पर पड़ेगा भारी!
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इसके अलावा पश्चिमि देशों को भी इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी.

रूस यूक्रेन युद्ध को करीब 6 महीने हो चुके हैं, लेकिन अब भी रूस यूक्रेन से पीछे हटने को तैयार नहीं है. पिछले दिनों ही उसने साफ कर दिया था कि वह अभी युद्ध नहीं रोकेगा. वहीं व्लादिमीर पुतिन की जिद और युद्ध में अब तक जीत न मिलने की वजह से रूस में बड़ा खेमा धीरे-धीरे पुतिन के खिलाफ जा रहा है. ऐसे में चर्चा है कि व्लादिमीर पुतिन को युद्ध में खराब प्रदर्शन और उनके खराब स्वास्थ्य के कारण हटाया जा सकता है. वहीं एक्सपर्ट इसे ठीक नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि पुतिन की जगह कोई भी आएगा वह वेस्टर्न कंट्रीज के लिए ठीक नहीं होगा.


खूनखराबे से ही होगा तख्तापलट

CIA मॉस्को स्टेशन के पूर्व बॉस डेनियल हॉफमैन का दावा है कि पुतिन को सत्ता से बेदखल करने के लिए बड़े स्तर पर साजिश चल रही है. पुतिन के विरोधियों को तख्तापलट करने के लिए काफी खूनखराबा करना पड़ सकता है. पुतिन न अपनी इच्छा से कुर्सी छोड़ेंगे और न उनसे कोई इसके लिए कह सकता है. ऐसे में उन्हें मारकर ही यह तख्तापलट संभव हो पाएगा. एक्सपर्ट बताते हैं कि रूस के अगले प्रमुख के रूप में अभी जिन तीन लोगों का नाम चल रहा है, उसमें पहले नंबर पर पुतिन के शीर्ष आर्थिक सलाहकार सर्गेई ग्लेज़येव, दूसरे नंबर पर रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव और तीसरे नंबर पर रूस की काउंटर जासूसी एजेंसी के प्रमुख अलेक्जेंडर बोर्तनिकोव हैं.

और भी कई विरोधियों की है नजर

वहीं, द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, वाशिंगटन डीसी में सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस के वरिष्ठ फेलो ओल्दा लॉटमैन का दावा है कि पुतिन को हटाकर कुर्सी पर बैठने के लिए करीब 100 लोग कतार में हैं. पुतिन की जगह जो भी कुर्सी संभालेगा वह उनसे भी सख्त होगा. इसमें सर्गेई ग्लेज़येव की वेस्टर्न कंट्रीज और खासकर नाटो से नफरत सबको पता है. वह कई बार नाटो को खत्म करने की बात कह चुका है.

पुतिन के जाने से रूस को भी खतरा

वहीं व्लादिमीर पुतिन के जाने से खुद रूस को भी खतरा है. कभी पुतिन के विरोधी रहे मिखाइल श्वेतोव जो अभी पनामा में निर्वासन में हैं, का कहना है कि पुतिन के जाने से रूस में असली कट्टरपंथियों का उभार होगा. इससे देश में गृह युद्ध के हालात बन जाएंगे. इसके अलावा पश्चिमि देशों को भी इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी.



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