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पुरातत्वविदों ने क्रूर 'समुद्री शिकारी' की खोपड़ी का लगाया पता, 40 फीट लंबा था खूंखार शिकारी

jantaserishta.com
19 March 2022 2:14 PM GMT
पुरातत्वविदों ने क्रूर समुद्री शिकारी की खोपड़ी का लगाया पता, 40 फीट लंबा था खूंखार शिकारी
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लीमा : पुरातत्वविदों ने एक क्रूर 'समुद्री शिकारी' की खोपड़ी का पता लगाया है। यह आधुनिक समय की व्हेल का एक पूर्वज है, जो कभी एक प्रागैतिहासिक महासागर में रहता था जिसके हिस्से को अब पेरू कवर करता है। वैज्ञानिकों ने गुरुवार को इस खोज की घोषणा की। बेहद अच्छी तरह संरक्षित खोपड़ी करीब 36 मिलियन यानी 3 करोड़ 60 लाख साल पुरानी है जिसे पिछले साल पेरू के दक्षिणी ओकुकाजे रेगिस्तान से खोजा गया था।

पेरू की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सैन मार्कोस में जीवाश्म विज्ञानी रोडोल्फो सालास ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खोपड़ी में लंबे और नुकीले दांत भी लगे हुए थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्राचीन स्तनपायी एक बेसिलोसॉरस था, जो जलीय सिटासियन परिवार का हिस्सा है जिसके समकालीन वंशजों में व्हेल, डॉल्फ़िन और पोरपोइज़ शामिल हैं।
बेसिलोसॉरस का मतलब है, 'किंग लिजार्ड, हालांकि जानवर एक सरीसृप नहीं था लेकिन अपने लंबे शरीर की वजह से यह चलते वक्त किसी सांप की तरह लगता था। माना जा रहा है कि करोड़ों साल पहले यह जानवर समुद्र का सबसे खतरनाक शिकार था, जो करीब 12 मीटर (39 फीट) लंबा या चार मंजिला इमारत जितना ऊंचा था। सालास ने कहा, 'यह एक समुद्री राक्षस था।' इस खोपड़ी को पहले ही यूनिवर्सिटी के म्यूजियम में प्रदर्शित किया जा चुका है।
यह प्राचीन खोपड़ी बेसिलोसॉरस की एक नई प्रजाति से संबंधित हो सकती है। सालास ने कहा कि जब यह जानवर भूखा होता होगा तो यह भयानक तबाही मचाता होगा। उन्होंने बताया कि जब प्राचीन बेसिलोसॉरस की मौत हुई, तो इसकी खोपड़ी समुद्र तल के नीचे डूब गई, जहां यह आसानी से दफन हो गई और संरक्षित हो गई। इसी कारण जीवाश्म की स्थिति बेहद अच्छी है।
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