जनता से रिश्ता वेबडेस्क| चीन, तिब्बत में एक ब़़डा क्लाउड कंप्यूटिंग डाटा केंद्र बनाने में जुटा है। यह दुनिया में सबसे ऊंचाई पर बनाया गया डाटा केन्द्र होगा। यह केंद्र चीन के साथ ही नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की डाटा स्टोरेज जरूरतों का पूरा करेगा। डाटा केंद्र तिब्बत की राजधानी ल्हासा के हाईटेक जोन में करीब 3,656 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसमें कुल 11.8 अरब युआन ([13500 करोड़ रुपये से ज्यादा)] का निवेश करने की योजना है। यह परियोजना वीडियो रेंडरिग, ऑटोनॉमस ड्राइविंग, डिस्टेंस लर्निग डाटा बैकअप एवं अन्य क्षेत्रों में सुविधाएं मुहैया कराएगा। प्रोजेक्ट का पहला चरण 2021 में पूरा हो जाने की उम्मीद है।
11.8 बिलियन युआन (USD 1.80 बिलियन से अधिक) के कुल नियोजित निवेश के साथ, यह परियोजना अपने ल्हासा-आधारित ऑपरेटर, निंगसुआन के अनुसार वीडियो रेंडरिंग, ऑटोनॉमस ड्राइविंग, डिस्टेंस-लर्निंग डेटा बैकअप जैसे क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करेगी। कंपनी ने कहा कि यह प्रमुख चीनी प्रांतों और शहरों के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में भी सेवाएं प्रदान करने की उम्मीद है।
पहले चरण के पूरा होने के बाद चीन, दक्षिण एशिया में प्रमुख ग्राहकों की डेटा भंडारण जरूरतों को पूरा करने के लिए डेटा सेंटर में 10,000 मशीन कैबिनेट और 1.5 बिलियन युआन (लगभग 223.5 मिलियन अमरीकी डालर) का वार्षिक राजस्व होगा। वांग जु, निंगुआन के उपाध्यक्ष और मुख्य विपणन अधिकारी ने कहा कि ल्हासा अंतरराष्ट्रीय संचार सेवाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक क्षेत्रीय ब्यूरो के निर्माण के साथ आगे बढ़ता है, तिब्बत एक बड़ा-डेटा औद्योगिक आधार बन जाएगा।
अमेरिका ने तिब्बत के लिए नियुक्त किया विशेष अधिकारी
अमेरिका ने पिछले दिनों अपने एक वरिष्ठ अधिकारी को तिब्बत मसले के लिए स्पेशल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है। 1950 से तिब्बत चीन के कब्जे में है और कूटनीति रूप से यह उसके लिए बेहद संवेदनशील मसला है। इसीलिए अमेरिका के कदम पर चीन ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उसने इसे तिब्बत को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक जालसाजी करार दिया है।