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बासमती चावल के GI टैग को मान्‍यता देने के लिए यूरोपियन यूनियन में किया आवेदन, अब EU करेगी सुनवाई

Neha Dani
9 March 2021 8:44 AM GMT
बासमती चावल के GI टैग को मान्‍यता देने के लिए यूरोपियन यूनियन में किया आवेदन, अब EU करेगी सुनवाई
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पाकिस्तान को नहीं मिलने से उसकी लचर अर्थव्यवस्था को बड़ा घाटा होगा.

यूरोपियन यूनियन (European Union) ने बासमती चावल (Basmati Rice) को लेकर दी जाने वाली जियोग्राफिकल इंडेक्‍स टैग (GI tag) की पाकिस्तानी मांग को स्वीकार कर लिया है. भारत के लिए ये एक झटके से कम नहीं है, क्योंकि अगर ये टैग पाकिस्तानी बासमती चावल को मिल जाएगा तो भारत को नुकसान हो सकता है. पाकिस्तानी चावल निर्यातकों का कहना है कि 'यूरोपियन यूनियन ने भारत को बासमती चावल के निर्यात के लिए विशेष अधिकार क्यों नहीं दिया जाना चाहिए', वाली मांग को स्वीकार कर लिया है. बता दें कि, भारत ने भी अपने बासमती चावल के GI टैग को मान्‍यता देने के लिए यूरोपियन यूनियन में आवेदन किया है.

पाकिस्तानी न्यूज एजेंसी जियो न्यूज के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन ने पाकिस्तान के नोटिस और पाकिस्तानी निर्यातकों के बयान को स्वीकार्य घोषित कर दिया है. दरअसल, पाकिस्तानी निर्यातकों ने EU को बासमती चावल के GI टैग पर भारत के दावे के खिलाफ एक नोटिस में अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया दर्ज कराई थी. पिछले साल भारत ने EU से कहा था कि वह भारतीय बासमती चावल को GI टैग देते हुए मान्यता दे. इससे भारत को यूरोपीय बाजार में चावल की इस किस्‍म पर पूरा अधिकार मिल जाता. हालांकि, बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के इस दावे को खारिज कर दिया था. इसने तर्क दिया कि पाकिस्तानी किसान भी बासमती चावल उगाते हैं.

EU ने चावल पर शून्य टैरिफ किया है लागू
पड़ोसी मुल्क के चावल आयातकों ने संगठन ने कहा, राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान (REAP) ने EU में सात दिसंबर को बासमती चावल के GI टैग के लिए भारत के दावे के खिलाफ विपक्ष का नोटिस दायर किया. इसने कहा कि REAP ने यह कदम पाकिस्तान के चावल निर्यातकों और किसानों की ओर से उठाया है, जिन्हें एक अरब डॉलर की आय का नुकसान होने का खतरा है. 2006 के बाद से, EU ने चावल के आयात पर शून्य टैरिफ लागू किया है, जिसे पाकिस्तानी या भारतीय अधिकारियों द्वारा वास्तविक बासमती के रूप में प्रमाणित किया जाता है.

क्यों जरूरी है GI टैग
भारत और पाकिस्तान दोनों ही मुल्कों में बासमती चावल को उगाया जाता है. वैश्विक स्तर पर बासमती मार्केट में भारती की हिस्सेदारी 65 फीसदी है, जबकि बचे हुए मार्केट पर पाकिस्तान का कब्जा है. GI टैग अगर दोनों में से जिस मुल्क को भी मिलता है, उसे बड़ा लाभ हासिल होगा. दरअसल, बासमती चावल का मार्केट अरबों रुपयों का है, ऐसे में भारत को GI टैग मिलने से उसे काफी लाभ मिलेगा. भारत की पहचान बासमती चावल के विशेष अधिकार रखने वाले मुल्क की होगी. इससे दुनियाभर के मुल्क सिर्फ भारत से बासमती चावल खरीदने को प्राथमिकता देंगे. वहीं, GI टैग पाकिस्तान को नहीं मिलने से उसकी लचर अर्थव्यवस्था को बड़ा घाटा होगा.


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