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Apple पर 45 अरब का जुर्माना, जानबूझकर किया था ये काम

jantaserishta.com
19 Nov 2020 4:50 AM GMT
Apple पर 45 अरब का जुर्माना, जानबूझकर किया था ये काम
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अमेरिकी कंपनी Apple को वैसे तो यूज़र्स के हितों की सुरक्षा करने के लिए जाना जाता है. लेकिन कई बार कंपनी ने ऐसा साबित किया है कि कंपनी सिर्फ़ अपने मुनाफ़े के लिए काम करती है. Batterygate इनमें से ही एक मामला है.

Apple ने ऐलान किया है कि #batterygate मामले के सेटलमेंट के लिए 113 मिलिय डॉलर (लगभग 8.3 अरब रुपये) का जुर्माना देगी. अमेरिका के लगभग 34 राज्य मिल कर ऐपल की जांच कर रहे थे. इससे पहले भी कंपनी इसे मामले में 500 मिलियन डॉलर की पेनाल्टी दे चुकी है.

यानी ऐपल को अपने यूज़र्स के पुराने आईफ़ोन को स्लो करने का ख़ामियाज़ा टोटल 613 (500+113) मिलियन डॉलर अदा करके चुकाना पड़ रहा है. इन्हें रुपये में तब्दील करें तो ये लगभग 45.54 अरब रुपये होते हैं.लेकिन इतने पैसे कंपनी को क्यों देने पड़े? क्या है पूरा मामले आईए विस्तार से समझते हैं.

बैटरीगेट (batterygate) क्या है?

ग़ौरतलब है कि 2017 में कंपनी ने एक ऐसा अपडेट जारी किया था जिससे पुराने iPhone स्लो हो गए. कंपनी ने अपडेट जारी करने से पहले यूज़र्स को इसके बारे में जानकारी नहीं दी थी.

कंपनी अपडेट दे कर यूज़र्स का पुराना आईफ़ोन स्लो कर दिया. बाद में जब इस बात के बारे में लोगों को पता चला तो ऐपल ने एक दलील दी. कंपनी दलील ये थी पुराने फ़ोन को इसलिए स्लो किया जा रहा है पुरानी बैटरी की वजह से फ़ोन ख़ुद से शटडाउन न हों या फ़ोन में दूसरी समस्याएँ न आएँ.

कंपनी की ये दलील लोगों को रास नहीं आई और अमेरिका के लगभग 34 राज्यों ने ऐपल के ख़िलाफ़ जाँच शुरू करने और कोर्ट जाने का फ़ैसला किया.

स्टेट्स का कहना था कि ऐपल लोगों को नए और महँगे आईफ़ोन ख़रीदने के लिए मजबूर कर रहा है. पुराने फ़ोन को अपडेट के ज़रिए स्लो किया जाता है ताकि लोग कंपनी के नए और महँगे iPhone मॉडल्स ख़रीद सकें.

Arizona के अटॉर्नी जर्नल मार्क बर्नोविक ने एक स्टेटमेंट में कहा है, 'बड़ी कंपनियों को यूज़र्स को मैनिपुलेट नहीं करना चाहिए और अपने प्रोडक्ट्स प्रैक्टिसेस के बारे में उन्हें पूरी सच्चाई बतानी चाहिए'

मार्क ने कहा है, 'बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियाँ अगर अपने यूज़र्स से सच्चाई छिपाती हैं तो ऐसे में मैं कंपनियों को अपने कारनामों की ज़िम्मेदारी दिलाने के लिए प्रदिब्द्ध हूँ'

500 मिलियन डॉलर ( लगभग 37.13 अरब रुपये) पहले भी दे चुकी है कंपनी..

पुराने आईफ़ोन अपडेट के ज़रिए स्लो करने के बाद ऐपल पर अमेरिका में क्लास ऐक्शन लॉसूट फाइल किया गया. इसमें ऐपल पर आरोप था कि कंपनी नए आईफ़ोन ख़रीदने पर मजबूर करने के लिए पुराने फ़ोन को अपडेट के ज़रिए स्लो कर रही है.

अमेरिकी कोर्ट ने ऐपल से सभी उन अमेरिकी कस्टमर्स को 25 डॉलर देने को कहा जो इस अपडेट से प्रभावित हुए हैं. इस अपडेट से iPhone 6, iPhone 6s, iPhone 6s Plus, iPhone 7, iPhone 7 Plus और iPhone SE प्रभावित हुए थे.

ऐपल ने भले ही जुर्माना अदा करने के लिए राज़ी हुआ, लेकिन कंपनी ने ये मानने से इनकार किया कि उनसे गलती हुई है.

कंपनी ने बात भी मानी की अपडेट के ज़रिए पुराने आईफ़ोन स्लो किए गए, लेकिन साथ में ये भी कहा कि ये इसलिए किया गया ताकि बैटरी सेफ़ रखी जा सके और फ़ोन को अनचाहे शटडाउन से बचाया जा सके.

काफ़ी आलोचनाओं और पेनाल्टी लगने के बाद ऐपल ने दुबारा एक अपडेट दिया. इस अपडेट में बैटरी से जुड़ा एक फ़ीचर दिया गया. इसके बाद बैटरी हेल्थ का फ़ीचर आया जहां से यूज़र्स बैटरी की मैक्सिमम कैपिसिटी ख़ुद चेक कर सकते हैं.


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