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कोरोना महामारी से निपटने के लिए विकासशील देश अगर किसी तरह के आवश्यक व्यापार उपायों को अपनाते हैं
नई दिल्ली, कोरोना महामारी से निपटने के लिए विकासशील देश अगर किसी तरह के आवश्यक व्यापार उपायों को अपनाते हैं, तो उन्हें विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के विवाद निपटान पैनल में नहीं घसीटना चाहिए। यह बात भारत, क्यूबा और अफ्रीकी संघ ने वैश्विक संगठन में प्रस्तुत एक पत्र के माध्यम से कही है। इसमें कहा गया है कि व्यापार उपायों और बौद्धिक संपदा में लचीलेपन को लेकर लागू किया गया मोरेटोरियम एक निश्चित और परिभाषित दायरे में होगा और इसे कोरोना संकट के समय कायम रखा जाना चाहिए।
पत्र में विषम परिस्थितियों का दिया हवाला
पत्र में यह भी कहा गया है कि जिस तरह की गंभीर स्थिति है, उसके लिए सरकारों का महामारी के चलते होने वाली दिक्कतों को नियंत्रित करने के सभी उपाय में सक्षम होना जरूरी है। विकासशील देशों के पास इस संकट से निपटने के लिए व्यापार उपायों के उपयोग के अलावा कोई विकल्प नहीं है और इस तरह के कदम उठाने के लिए उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि डब्ल्यूटीओ जिनेवा स्थित 164 देशों का एक संगठन है जो वैश्विक व्यापार नियमों को ना केवल बनाता है बल्कि सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का भी फैसला करता है।
डब्ल्यूटीओ की प्रतिबद्धताएं पूरी करने में चीन विफल
अमेरिका ने चीन पर डब्ल्यूटीओ के प्रति अपनी मुक्त व्यापार प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने कहा है कि वह चीन के आक्रामक व्यापार व्यवहार से निपटने के लिए नए तरीकों की तलाश कर रहा है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय ने बुधवार को डब्ल्यूटीओ नियमों के साथ चीन के अनुपालन पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि बीजिंग अपने वादों को पूरा नहीं कर रहा है।
चीन पर वादे पूरे नहीं करने के आरोप
चीन ने 2001 में डब्ल्यूटीओ में शामिल होने के वक्त विदेशी प्रतिस्पर्धा के लिए अपने बाजारों को खोलने का वादा किया था। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने कहा, 'चीन ने इसके बजाय इकोनमी और व्यापार के लिए अपने सरकारी नेतृत्व वाले गैर-बाजार नजरिये को बरकरार रखा है और इसे आगे बढ़ाया है।'
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