श्रीलंका में राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर मुख्य समुद्री तट पर डटे प्रदर्शनकारियों ने अब अपना विरोध-प्रदर्शन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के कार्यालय तक बढ़ा दिया है क्योंकि उन्होंने राजपक्षे परिवार के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से हटाने की मांग तेज कर दी है।
श्रीलंका में सरकार के पास महत्वपूर्ण आयात के लिए पैसे नहीं बचने, जरूरी चीजों के दाम आसमान छूने और ईंधन, दवाओं व बिजली की आपूर्ति में भारी कमी आने के बीच हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हुए हैं।
राष्ट्रपति सचिवालय के सामने सड़क पर जारी विरोध-प्रदर्शन का मंगलवार को 18वां दिन था, जिसमें राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और उनके 76 वर्षीय बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की गई।
राष्ट्रपति के लिए बनाए 'गोटा वापस जाओ' शिविर के बाद अब विरोध को गति देने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के कार्यालय सह आवास के पास 'महिंदा अपने गांव जाओ' शिविर बनाया है। राजपक्षे परिवार पर विदेशी मुद्रा संकट से गलत तरीके से निपटने के चलते इस्तीफा देने का दबाव है।
श्रीलंका में इस साल बढ़ेगी गरीबी, विश्व बैंक की चेतावनी
विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि इस साल श्रीलंका में गरीबी बढ़ेगी। इसके साथ ही विश्व निकाय ने श्रीलंका से भारी कर्ज में कटौती, राजकोषीय घाटे को कम करने और गरीबों तथा कमजोरों को राहत देने की अपील की।
विश्व बैंक ने कहा, श्रीलंका में करीब 11.7 प्रतिशत लोग प्रतिदिन 3.20 डॉलर (1,069 श्रीलंकाई रुपये) से कम कमाते हैं। यह निम्न-मध्यम आय के देशों में गरीबी रेखा है। यह संख्या 2019 के मुकाबले 9.2 प्रतिशत अधिक है। गरीबी बढ़ने की एक वजह यह भी है कि सरकार का समृद्धि कार्यक्रम पर्याप्त नहीं था। महामारी के चलते श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था 2020 में करीब 3.6 प्रतिशत घटी।