पाकिस्तान के बंदरगाह शहर ग्वादर में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने रविवार को एक विरोध रैली निकाली और धमकी दी कि अगर ग्वादर में अवैध रूप से मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाने और अनावश्यक चौकियों को खत्म करने समेत कई अन्य विवादों की मांग पूरी नहीं की गई तो वे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अवरुद्ध कर देंगे।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन में सैकड़ों बच्चे भी शामिल हुए और ग्वादर जिले के तुर्बत, पसनी और अन्य इलाकों से प्रदर्शन करते हुए ग्वादर पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगें लिखी हुई तख्तियां और बैनर लेकर सड़कों पर मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों ने सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) परियोजनाओं से क्षेत्र में और स्थानीय लोगों को होने वाले नुकसान के विरोध में नारे भी लगाए।
अप्रैल 2015 में शुरू किया गया चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) को लेकर कहा जाता था कि यह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का कायापलट कर देगा। दोनों देशों के नेतृत्व की ओर से सार्वजनिक रूप से इस तरह की तमाम बयानबाजी की गई कि यह आम पाकिस्तानियों को गरीबी से उबारने में मदद करेगी। इन सबके बावजूद सीपीईसी ने अभी तक अपने वादों को पूरा नहीं किया है। चीनी परियोजनाएं जाहिर तौर पर बलूची लोगों को उनकी बस्तियों से विस्थापित करने का कारण बन रही हैं। उदाहरण के लिए, सदियों से ग्वादर के कुछ सबसे पुराने इलाकों में रहने वाले मछुआरों का अब ग्वादर के उत्तर में नोकेन मुल्ला बैंड में पुनर्वास किया गया है। कई लोग सीपीईसी को स्थानीय लोगों को क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर करने की योजना के रूप में देखते हैं।
जुलाई 2022 में, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) के प्रमुख डॉ अल्लाह नजर बलोच ने एक वीडियो संदेश में चीन से बलूचिस्तान में सीपीईसी परियोजनाओं को रोकने का आग्रह किया था। क्योंकि इस परियोजना ने लाखों स्वदेशी लोगों को जबरन विस्थापित किया और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया है। चीनी निवेश के बावजूद, बलूचिस्तान उचित स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, आवास और यहां तक कि पीने के साफ पानी की कमी के साथ बेहद गरीब बना हुआ है।