बदले में चीनी कंपनियों का कहना है कि स्मार्ट सिटी का प्लॉट बिकने के बाद जो मुनाफा होगा, उन्हें उसमें हिस्सेदारी दी जाए. चीन के इस प्रस्ताव पर बांग्लादेश के विशेषज्ञ खुश नहीं हैं. वो चीन की मंशा पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि स्मार्ट सिटी के निर्माण से चटगांव के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
चीनी कंपनियों का कहना है कि वो आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर चटगांव को एक स्मार्ट सिटी का रूप देंगी, इससे चटगांव के पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. बावजूद इसके बांग्लादेशी विशेषज्ञ चीन को लेकर आश्वस्त नहीं हैं. उनका कहना है कि चीन प्रोजेक्ट मिलने से पहले जो वादा करता है, प्रोजेक्ट मिलने के बाद उसे पूरा नहीं करता.
चीनी कंपनियां अपने पैसे लगाकर चटगांव में मेट्रो रेल बनाना चाहती हैं. इसका मतलब ये हुआ कि प्रोजेक्ट की समाप्ति के बाद भी चीनी टेक्निशियन मेट्रो के रखरखाव की आड़ लेकर चटगांव में बने रहेंगे. चीन मेट्रो के रखरखाव का काम कभी बांग्लादेश को नहीं सौंपेगा, क्योंकि इससे उसे बांग्लादेश से अपने लोगों को हटाना पड़ेगा जो वो कभी नहीं चाहेगा.
एक सूत्र ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, 'मेट्रो रेल के निर्माण से ट्रैफिक की समस्या और बढ़ जाएगी क्योंकि चीनी कंपनियां परियोजना पर कभी समय पर पूरा नहीं करतीं.' सूत्र ने कहा कि चटगांव भीड़-भाड़ वाला इलाका है और ऐसे में पुलिस के लिए ट्रैफिक को मैनेज करना काफी मुश्किल होगा.
चीन के लिए चटगांव क्यों है अहम
चटगांव बांग्लादेश के लिए रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण शहर है. चीन बांग्लादेश में खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है और उसका मुख्य लक्ष्य चटगांव बंदरगाह पर अपना प्रभाव स्थापित करना है. चटगांव बंदरगाह से बांग्लादेश पश्चिमी देशों से आयात-निर्यात करता है. पश्चिमी देशों का विरोधी चीन चटगांव बंदरगाह पर अपना प्रभाव बढ़ाकर पश्चिम से बांग्लादेश को होने वाले आयात-निर्यात को नियंत्रित करना चाहता है.
एक विशेषज्ञ ने कहा, 'चीन चटगांव बंदरगाह पर नियंत्रण चाहता है. वो खासकर बांग्लादेश और पश्चिमी देशों के बीच होने वाले निर्यात और आयात पर नियंत्रण चाहता है. पश्चिमी देश बांग्लादेशी कपड़ों के मुख्य खरीददार हैं. इसलिए चीन चटगांव में मेट्रो रेल और स्मार्ट सिटी के निर्माण का प्रस्ताव दे रहा है. ये श्रीलंका की तरह ही बांग्लादेश को अपने प्रभाव में लेने का चीन का प्रयास है.
बांग्लादेश को हथियारों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है चीन
चीन पहले ही बांग्लादेश को अपने हथियारों पर निर्भर कर चुका है. वो रक्षा क्षेत्र से आगे बढ़कर बांग्लादेश में अपना दखल बढ़ाने में लगा हुआ है. बांग्लादेश ने चीन से बड़ी संख्या में सैन्य हार्डवेयर खरीदा है, जिसमें दो पनडुब्बी, मिसाइल, बंदूकें, युद्धपोत और लड़ाकू विमान शामिल हैं. लेकिन अब बांग्लादेश को समझ आ रहा है कि चीन से हथियार खरीद कर उसने बड़ी गलती कर दी है.
चीन से खरीदे गए कई हथियारों में खराबी आ गई है. टाइप 053H3 फ्रिगेट्स और K-8W फाइटर एयरक्राफ्ट ने खराबी के कारण काम करना बंद कर दिया है.
बांग्लादेश ने चीन से FM-90 (चीनी HQ-7A) सिस्टम खरीदा था. बांग्लादेशी वायु सेना की वायु रक्षा प्रणाली में ये सिस्टम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था. FM-90 को चीन से खरीदे बस मुश्किल से तीन साल ही हुए हैं और अभी से इसमें कई खामियां आ गई हैं. बांग्लादेश की वायुसेना इसके स्पेयर पार्ट्स को चीन से खरीदने की योजना बना रही है.
बांग्लादेश की नौसेना नहीं चाहती चीन से हो हथियारों की खरीद
बांग्लादेशी नौसेना के अधिकारी चीन से जहाज और अन्य उपकरण खरीदने के खिलाफ हैं क्योंकि वो उन्हें ठीक ढंग से ऑपरेट नहीं कर पाते हैं. चीन से बांग्लादेश ने दो युद्धपोत खरीदे थे जिनमें अब खराबी आ गई है. चीन से बांग्लादेश ने दो पनडुब्बियां खरीदी थी जो अब महज एक शोपीस बनकर रह गई हैं. बांग्लादेश की नौसेना ने अब तक पनडुब्बियों का सही इस्तेमाल नहीं किया है.
बांग्लादेश की नौसेना चटगांव ड्राई डॉक में जहाज बनाने जा रही है. कई देशों की तरह ही चीन भी इस योजना में दिलचस्पी दिखा रहा है. लेकिन बांग्लादेश की नौसेना चीन के खराब ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उसे परियोजना देने से हिचक रही है.
ट्रेनिंग के लिए चीन जाने वाले बांग्लादेशी अधिकारियों से खराब बर्ताव
सूत्र बताते हैं कि बांग्लादेश अपने अधिकारियों और सैनिकों को ट्रेनिंग के लिए चीन भेजता है क्योंकि जो हथियार और उपकरण वो चीन से लेता है, उसके लिए वो पर्याप्त रूप से ट्रेंड नहीं हैं. कथित रूप से, चांगचुन के एविएशन यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग ले रहे बांग्लादेशी वायु सेना के अधिकारियों के एक बैच के साथ चीनी अधिकारियों ने दुर्व्यवहार किया था.
चीन पर ये आरोप भी है कि वो हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति करते समय स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति नहीं करता है. और जब उनके मेंटेनेंस की बात आती है तो, उच्च कीमतों पर चीनी टेक्निशियनों को बांग्लादेश भेजकर उनकी मरम्मत कराता है. अधिकांश रक्षा अधिकारी, विशेषकर नौसेना अधिकारी घटिया क्वालिटी और मेंटेनेंस की सर्विस की कमी के कारण चीन से रक्षा हार्डवेयर खरीदने के खिलाफ हैं.
बांग्लादेश के लोग भी नहीं चाहते देश में चीनियों की मौजूदगी
बांग्लादेश में कई चीनी परियोजनाओं में काम कर रहे चीनी अधिकारियों के व्यवहार से स्थानीय लोग खुश नहीं हैं. चीनी अधिकारी स्थानीय लोगों और परियोजना में काम कर रहे बांग्लादेशियों के प्रति किसी तरह का सम्मान नहीं रखते हैं.
वे उनकी धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाते हैं. चीनी अधिकारी बांग्लादेश के मुस्लिम अधिकारियों और मजदूरों के सामने ही सूअर का मांस (इस्लाम में प्रतिबंधित) और कछुए को खाते हैं. मजदूरों की शिकायत रही है कि चीनियों ने रमजान के महीने में उन्हें इफ्तार तक के लिए समय देने से इनकार कर दिया. जो लोग इफ्तार के लिए काम छोड़कर गए, उनकी सैलरी से पैसे कम कर दिए गए.
समय पर वेतन न मिलने को लेकर एक बिजली प्लांट में चीनी अधिकारियों और स्थानीय लोगों के बीच झड़पें भी हुई हैं. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ीं, जिसके कारण कई स्थानीय लोगों की मौत हो गई.
बांग्लादेश के महत्वाकांक्षी पद्म ब्रिज रेल लिंक परियोजना से जुड़े चीनी अधिकारियों को लेकर ऐसी खबरें सामने आईं कि स्थानीय बांग्लादेशी मजदूरों का उन्होंने शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण किया. परियोजना से जुड़े कुछ चीनी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा है.
परियोजना से जुड़े एक चीनी नागरिक, फर्म चाइना रेलवे इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन के प्रतिनिधि को बांग्लादेश की सरकार ने निकाला भी है. चीनी नागरिक पर आरोप है कि उसने परियोजना का संचालन ठीक ढंग से नहीं किया