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आर्थिक संकट के बीच, चावल की कीमत होगी इतनी!

jantaserishta.com
6 Jun 2022 7:31 AM GMT
आर्थिक संकट के बीच, चावल की कीमत होगी इतनी!
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

कोलंबो: आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में लगातार हालत खराब होते जा रहे हैं. यहां दिन-ब-दिन खाने-पीने के सामानों की कीमतें आसमान छू रही है. ताजा जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका में एक किलोग्राम चावल की कीमत 500 रुपये तक पहुंच सकती है.

अनुराधापुरा जिले के छोटे और मझोले मिल मालिकों का कहना है कि एक किलो चावल की कीमत बढ़कर 500 रुपए प्रति किलोग्राम हो सकती है. उन्होंने बताया कि फिलहाल एक किलोग्राम वडापथु किस्म के चावल की कीमत प्रति किलोग्राम 200 रुपए है.
बताया जा रहा है कि श्रीलंका में मुद्रास्फीति का स्तर इस साल जनवरी से अब तक के सर्वकालिक उच्च रिकॉर्ड को छू रहा है, इसलिए वस्तुओं की कीमत बढ़ रही है. गेहूं और चावल जैसे खाद्य पदार्थ जो पहले आम लोग खरीद सकते थे, अब उसे खरीदना मुश्किल हो रहा है.
गेहूं की कीमतें भी अपने उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं, जिससे अधिकांश दुकानदारों ने गेहूं मंगवाना और बेचना बंद कर दिया है. दुकानदारों का कहना है कि चावल के मुकाबले गेहूं की कीमतों में तेजी जारी रहने के कारण वे गेहूं मंगवाना और बेचना बंद कर दिया है जिससे उनकी दुकानें बंद होने के कगार पर हैं.
भारतीय उच्चायोग के अनुसार, श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट के बीच चिकित्सा आपूर्ति की कमी भी बनी हुई है जिसे पूरा करने के लिए भारत ने रविवार को श्रीलंका के एक अस्पताल में आवश्यक दवाओं की खेप पहुंचाई. इससे पहले भारत की ओर से जाफना के मछुआरों को उनकी आजीविका गतिविधि को सुविधाजनक बनाने के लिए डीजल की आपूर्ति की गई थी.
बता दें कि विदेशी भंडार की गंभीर कमी के कारण ईंधन, रसोई गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए लंबी कतारें लगी हैं, जबकि बिजली कटौती और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने लोगों को परेशान किया है.
आंकड़ों के अनुसार, अभी श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर के कर्ज का बोझ है. अकेले चीन का ही श्रीलंका के ऊपर 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है. इसके अलावा श्रीलंका के ऊपर भारत और जापान जैसे देशों के अलावा आईएमएफ (IMF) जैसे संस्थानों का भी लोन उधार है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो अब 51 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है. आर्थिक संकटों से घिरे इस छोटे देश के ऊपर इस भारी-भरकम विदेशी कर्ज का ब्याज व किस्त चुकाने का भी बोझ है, जो हालात को और बिगाड़ रहे हैं.
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