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दक्षिण चीन सागर में ताइवान और चीन के मध्य तनाव के बीच अमेरिका ने अपने तेवर सख्त कर दिए हैं।
दक्षिण चीन सागर में ताइवान और चीन के मध्य तनाव के बीच अमेरिका ने अपने तेवर सख्त कर दिए हैं। रविवार को अमेरिका के विमान वाहक पोत ने दक्षिण चीन सागर में प्रवेश कर गए। अमेरिकी सेना ने रविवार को इसकी पुष्टि की है। इस एक्शन के पीछे अमेरिका का तर्क है कि समुद्र की स्वतंत्रता के लिए यह कदम उठाया गया है। अमेरिका के इस कदम से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। अमेरिका के इस एक्शन से दक्षिण चीन सागर में चीन और अमेरिका आमने-सामने आ गए हैं। अमेरिकी सेना ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब शनिवार को चीनी बमवर्षक और लड़ाकू जेट विमान दक्षिण चीन सागर में ताइवान द्वीप के निकट अवैध रूप से प्रवेश किए। इस घटना के बात ताइवान की सेना सतर्क हो गई और उसने अपने लड़ाकू विमानों के लिए तैयार रहने को कहा। आखिर अमेरिका ने ऐसा कदम क्यों उठाया। क्या होंगे इसके निहितार्थ।
दुनिया में दो तिहाई व्यापार वाले इसी मार्ग की सुरक्षा के लिए उठया गया कदम
अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमांड ने अपने एक बयान में कहा समुद्र की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली साझेदारियों का निर्माण करने के लिए यह कदम उठाया गया है। कमांड ने कहा कि अपने सहयोगियों और भागीदारों को आश्वस्त करने के लिए अमेरिकी नौसेना ने की यह पहल है। कमांड ने कहा कि दुनिया में दो तिहाई व्यापार वाले इसी मार्ग से होता है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस मार्ग की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए। कमांड ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि इस क्षेत्र में हम अपनी उपस्थिति बनाए रखें। अमेरिका ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब चार दिन पूर्व अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने कार्यभार संभाला है।
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