विश्व

अमेरिका की तालिबान को चेतावनी, मानवाधिकार का सम्मान न करने वाली सरकार की वैधता कम होगी

Subhi
21 July 2021 1:25 AM GMT
अमेरिका की तालिबान को चेतावनी, मानवाधिकार का सम्मान न करने वाली सरकार की वैधता कम होगी
x
अमेरिका ने तालिबान को चेताया कि मानवाधिकारों का सम्मान न करने वाली कोई भी सरकार, जो बंदूक के बल पर शासन की कोशिश करेगी, उसकी अंतरराष्ट्रीय वैधता कम होगी।

अमेरिका ने तालिबान को चेताया कि मानवाधिकारों का सम्मान न करने वाली कोई भी सरकार, जो बंदूक के बल पर शासन की कोशिश करेगी, उसकी अंतरराष्ट्रीय वैधता कम होगी।

तालिबान के अफगानिस्तान में दर्जनों जिलों पर कब्जा करने के बाद अब माना जा रहा है कि देश का एक तिहाई हिस्सा उनके कब्जे में हैं। जबकि एक समझौते के तहत अमेरिका तालिबान को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।

बता दें कि अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी इस शर्त पर अफगानिस्तान से सैनिक बुलाने पर सहमत हुए हैं कि तालिबान चरमपंथी समूहों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में संचालन करने से रोकेगा।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हमारा मानना है कि सिर्फ बातचीत के माध्यम से हासिल समाधान ही 40 साल के संघर्ष को खत्म कर सकता है। हम तालिबान से आग्रह करते हैं कि वह संयुक्त घोषणा में दी गई प्रतिबद्धता को बनाए रखे, अफगानिस्तान के बुनियादी ढांचे की रक्षा करे, नागरिकों की हिफाजत करे और मानवीय सहायता में सहयोग दे। उन्होंने कहा, हम दोनों पक्षों के साथ काम करना जारी रखेंगे।

बता दें कि तालिबान दिन-रात अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ाने में लगा है। भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबानी वहां गावों, कस्बों में प्रभावी रूप में दिखाई दे रहे हैं और कारोबार, व्यापार के रूट पर कब्जा करने की उनकी कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बयान को भी देश में गहराते संकट के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में तालिबान और अफगान सेना के बीच में जंग से हालात कुछ जटिल हो सकते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी इस स्थिति से इनकार नहीं कर रहे हैं।

दोहा में शांति वार्ता से थी युद्ध विराम की उम्मीदें

भारत समेत दुनिया के तमाम देशों को कतर की राजधानी दोहा में तालिबान और अफगानिस्तान सरकार तथा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की वार्ता से काफी उम्मीदें थी। माना जा रहा था कि बकरीद के अवसर को देखकर तालिबान युद्ध विराम के लिए राजी हो जाएगा। इस बैठक में पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई को भी जाना था, लेकिन आखिरी वक्त में वह नहीं गए। गुलबुद्दीन हिकमतयार गुट के प्रतिनिधि समेत 10 प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था।

अमेरिका की तरफ से शांतिदूत जलमय खलीलजादा भी दोहा में मौजूद थे। अफगानिस्तान के दूसरे नंबर के नेता अब्दुला अब्दुल्ला ने नेतृत्व किया और तालिबान की तरफ से मुख्य वार्ताकार अब्दुल गनी बरादर रहे। प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को पहले और रविवार को दूसरे दौर की वार्ता के बाद तालिबान के नेता अब्दुल गनी बरादर ने युद्ध विराम के प्रस्ताव पर चुप्पी साध ली।

इससे पहले तालिबान ने युद्ध विराम के लिए दो प्रस्ताव दिए थे। उसका पहला प्रस्ताव था कि अफगानिस्तान की विभिन्न जेलों में बंद 7000 लोगों को रिहा कर दिया जाए और उसके तमाम नेताओं के ऊपर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध हटा दिए जाएं। युद्ध विराम और युद्ध बंदियों की रिहाई पर चर्चा भी हुई, लेकिन अंतत: कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया।


Next Story