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इसमें कोई भी बाधा या हमला अमेरिकी सेना पर सीधा हमला माना जाएगा।
तालिबान इस बात के लिए राजी हो गया है कि वह काबुल एयरपोर्ट से अफगान सहयोगियों को हवाई जहाजों से ले जाने के अभियान (एयरलिफ्ट आपरेशन) में बाधा नहीं बनेगा। तालिबान ने अमेरिका व सहयोगी देशों के द्वारा ले जाए जा रहे लोगों को सुरक्षित रास्ता देने पर अपनी सहमति दे दी है।
यह जानकारी अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने देते हुए कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि यहां से जाने वालों को रोका गया, यहां तक कि उनको पीटे जाने की जानकारी मिली हैं। अब तालिबान से इस संबंध में बात करके व्यवस्था बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि तालिबान निकासी में कितना समय देगा, इसके लिए बात की जा रही है। राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है कि निकासी 31 अगस्त तक पूरी कर ली जाए।
अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि तालिबान से बातचीत के बाद खराब मौसम के बावजूद एयरलिफ्ट आपरेशन अब पटरी पर आ गया है।
एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई है। काबुल एयरपोर्ट पर 6 हजार अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की गई है। अफगान सहयोगियों को निकालने के अभियान को सही तरीके से अंजाम देने के लिए अफगानिस्तान में पूर्व में राजदूत रहे जान बास को काबुल भेजा गया है। वह 2017 से 2020 में अफगानिस्तान में अमेरिका के राजदूत रहे हैं। इस आपरेशन को अंजाम देने के लिए मेजर जनरल क्रिस्टोफर डोनोहू को भी भेजा गया है। एयरपोर्ट पर संघर्ष की स्थिति को टालने के लिए तालिबान कमांडरों से दिन में कई बार वार्ता हो रही है। जनरल केनेथ मैंकेंजी ने दोहा में तालिबान नेताओं के साथ सुरक्षित रास्ते के संबंध में विस्तृत वार्ता की है। मैकेंजी ने कहा कि तालिबान को साफतौर पर चेतावनी दे दी गई है कि वह हमारे निकासी के काम में बाधा डालने का प्रयास न करें। इसमें कोई भी बाधा या हमला अमेरिकी सेना पर सीधा हमला माना जाएगा।
Neha Dani
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