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इस पर भारत ने अपनी कड़ी आपत्ति जताई थी।
चीनी ड्रैगन पर नकेल कसने के लिए अमेरिका की बाइडन सरकार ने कमर कस ली है। पेंटागन ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन के नेतृत्व में सातवें बेडे़ को डटे रहने का आदेश दिया है। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन ने चीन को चेतावनी दी है कि वह संकट को पैदा नहीं करे वरना इसके अंजाम अच्छे नहीं होंगे। अमेरिका ने कहा है कि वह नैंसी पेलोसी के दौरे का इस्तेमाल अपने आक्रामक सैन्य कार्रवाई को बढ़ाने के लिए नहीं करे। आइए जानते हैं कि इस सातवें बेड़े की क्या है ताकत। क्या सातवें बेड़े से भयभीत हुआ अमेरिका। इसके साथ यह भी जानेंगे कि अमेरिका ने कब-कब अपने महाविनाशक सातवें बेड़े का किया इस्तेमाल।
चीन से तनाव के बीच सातवां बेड़े ने संभाला कमान
1- नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद अमेरिका और चीन के मध्य तनाव के बीच अमेरिकी ने कहा है कि परमाणु एयरक्राफ्ट रोनाल्ड रीगन ताइवान के पास बना रहेगा। अमेरिका ने कहा है कि उसका सातवां बेड़ा हालात की निगरानी करेगा। चीन ने ऐलान किया है कि वह चार से लेकर सात अगस्त तक इस इलाके में टारगेटेड मिलिट्री आपरेशन करेगा। खास बात यह है कि अमेरिका ने यह कदम तब उठाया है जब, चीन ने गुरुवार को ताइवानी क्षेत्र के पास 11 मिसाइलें दागी थीं। इनमें से कुछ मिसाइलें ताइवान के ऊपर से निकली थीं।
2- इसके बाद ताइवान जलडमरूमध्य में अमेरिका ने अपना सतावां बेड़ा तैनात किया है। परमाणु हथियारों से लैस अमेरिका का सातवां बेड़ा इस समय पूर्वी चीन और फिलीपीन्स सागर में गश्त लगा रहा है। वह चीनी नौसेना की हरकतों पर नजर रखे हुए है। रोनाल्ड रीगन कैरियर पर अमेरिका के सबसे आधुनिक कहे जाने वाले एफ-35 बी फाइटर जेट तैनात हैं। इसके साथ कई और विशाल और घातक युद्धपोत भी गश्त लगा रहे हैं। अमेरिका का यह एयरक्राफ्ट कैरियर परमाणु ऊर्जा से चलता है। यह कई घातक मिसाइलों से लैस है।
अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े की क्या है ताकत
अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा का नाम आते ही दुश्मन की हालत पतली हो जाती है। अमेरिका का सातवां बेड़ा अमेरिकी नौसेना का सबसे बड़ा अग्रिम तैनाती वाला बेड़ा है। इस बेड़े में 50 से 70 जहाज और पनड़ब्बियां शामिल हैं। इस बेड़े में करीब 150 युद्धक विमान सम्मलित है। इसमें करीब बीस हजार नौसैनिक हर वक्त मुस्तैद रहते हैं। नौसेना की यह बड़ी और शक्तिशाली टीम समुद्री क्षेत्र में अमेरिकी हितों की रक्षा करती है। 75 वर्षों से अधिक यह सातवां बेड़ा भारतीय हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है। इसकी सक्रियता पश्चिमी प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में है। सातवें बेड़े का कार्यक्षेत्र 124 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक है। यह भारत-पाकिस्तान के क्षेत्र मे फैला है। इसके संचालन क्षेत्र में 36 देश शामिल हैं। इसमें दुनिया की आधी आबादी शामिल है।
सांतवें बेड़े के बाद चीन में खलबली
अमेरिका का सातवां बेड़ा दक्षिण चीन सागर में दूसरी बार दिखा है। इसके पूर्व यह ऐसे वक्त दिखा था जब ड्रैगन ने अमेरिका को सख्त चेतावनी दी थी कि उसको ताइवान के साथ सैन्य सहयोग बंद कर देना चाहिए। जनरल ली ज़ुओचेंग ने हाल में अपने अमेरिकी समकक्ष जनरल मार्क मिले से कहा था कि चीन के पास अपने मूल हितों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर समझौते के लिए कोई जगह नहीं है, जिसमें स्वशासित ताइवान भी शामिल है। चीन ने बिना क्वाड संगठन का नाम लिए कहा कि अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों में अपना समर्थन बढ़ाने के लिए उन्हें बीजिंग के विरुद्ध उकसा रहा है। यह मामला तब प्रमुख हो जाता है कि जब ताइवान पर हमले की योजना बनाते हुए चीनी सेना का एक आडियो लीक होने से सनसनी फैल गई थी। ऐसे में चीन के लिए अमेरिका के इस सांतवें बेड़े से खलबली मच गई है।
कई बाद सुर्खियों में रहा US Navy 7th Fleet
शीत युद्ध के दौरान भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इस बेड़े का नाम आया था। इस युद्ध में पूर्व सोवियत संघ भारत के साथ खड़ा था और अमेरिका ने भारत के खिलाफ अपने सातवें बेड़े की धौंस दिखाई थी। पिछले वर्ष यह सातवां बेड़ा भारतीय परिपेक्ष्य के चलते सुर्खियों में आया था। कुछ महीने पूर्व अमेरिका के सातवें बेड़े में शामिल नौसैनिक जहाज जान पाल जोन्स ने भारत के लक्ष्यद्वीप समूह के नजदीक 130 समुद्री मील पश्विम में भारत के विशिष्ठ आर्जिक जोन में अपने एक अभियान को अंजाम दिया था। खास बात यह है कि ऐसा करते समय अमेरिकी नौसेना ने भारत से इसकी इजाजत नहीं ली थी। इस पर भारत ने अपनी कड़ी आपत्ति जताई थी।
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