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नेपाल में अमेरिका के बाइडन प्रशासन की दिलचस्‍पी लगातार बढ़ती जा रही, चीन की चाल को किया फेल

Neha Dani
1 May 2022 8:14 AM GMT
नेपाल में अमेरिका के बाइडन प्रशासन की दिलचस्‍पी लगातार बढ़ती जा रही, चीन की चाल को किया फेल
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एमसीसी को मंजूरी देने के बाद अमेरिका ने अब यूएसएड के जरिए दी जानी आर्थिक सहायता को अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया है।

भारत और चीन के बीच बसे नेपाल में अमेरिका के बाइडन प्रशासन की दिलचस्‍पी लगातार बढ़ती जा रही है। नेपाल में केपी शर्मा ओली की जगह पर शेर बहादुर देउबा के प्रधानमंत्री बनने के बाद विदेशी नेताओं खासकर अमेरिका की ओर से अधिकारियों के दौरे बहुत बढ़ गए हैं। पिछले साल सितंबर महीने में इसकी शुरुआत अमेरिका के एमसीसी कॉम्‍पैक्‍ट की उपाध्‍यक्ष फातिमा जेड सुमर काठमांडू पहुंचने से हुई थी और यह सिलसिला अभी भी जारी है। आइए जानते हैं कि अमेरिका ने अचानक से नेपाल में अपनी दिलचस्‍पी क्‍यों बढ़ा दी है।

नेपाली अखबार काठमांडू पोस्‍ट के मुताबिक पिछले दिनों अमेरिका के विवादास्‍पद अधिकारी डोनाल्‍ड लू ने एसीसीसी को नेपाल की संसद से मंजूरी दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। अमेरिका ने यहां तक धमकी दे दी थी कि नेपाल ने अगर एमसीसी को मंजूरी नहीं दी तो वह दोनों देशों के बीच सबंधों की समीक्षा करेगा। अमेरिका ने यह चेतावनी ऐसे समय पर दी जब दोनों ही देशों के बीच संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे थे। अमेरिका की धमकी का असर यह हुआ कि नेपाल ने एमसीसी को डेडलाइन से ठीक पहले मंजूरी दे दी।
'नेपाल के एमसीसी को मंजूरी देने से अमेरिका खुश'
रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल-अमेरिका संबंध अब अगले दौर में पहुंच गए हैं। अब दोनों ही देशों के बीच में कई बड़े अधिकारियों के दौरे होने वाले हैं। विश्‍लेषकों का कहना है कि ऐसा आंशिक रूप से नेपाल और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों के 75 साल पूरे होने की वजह से हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि उच्‍च स्‍तर के अमेरिकी नेताओं की यात्रा के पीछे कई और कारण छिपे हुए हैं। विश्‍लेषकों ने कहा कि नेपाल के एमसीसी को मंजूरी देने से अमेरिका खुश है क्‍योंकि अगर इसे मंजूरी नहीं मिलती तो दक्षिण एशिया में सुपरपावर अमेरिका की छवि को बड़ा झटका लगता। वह भी तब जब श्रीलंका ने 'विदेशी और आंतरिक' कारणों से एमसीसी को मंजूरी नहीं दी थी।
नेपाली विदेश मंत्रालय के एक वरिष्‍ठ अधिकारी लगातार हो रही अमेरिकी अधिकारियों की यात्रा पर कहा कि इसके पीछे 4 प्रमुख कारण हैं। उन्‍होंने कहा, 'नेपाल की ओर से एमसीसी को मंजूरी देने से एक सकारात्‍मक माहौल बन गया। नेपाल के संयुक्‍त राष्‍ट्र में यूक्रेन के पक्ष में मतदान करने से अमेरिका को यह भरोसा हो गया कि काठमांडू पूरी तरह से उसके हितों के मुताबिक चल रहा है।' नेपाली अधिकारी ने कहा, 'नेपाल ने यह भी स्‍पष्‍ट कर दिया है कि वह चीन के बेल्‍ट एंड रोड प्रॉजेक्‍ट में बहुत ज्‍यादा रुचि नहीं रखता है। यह साल नेपाल-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों के 75 साल पूरे होने का भी है।'
नेपाल ने चीन के बीआरआई पर अनिच्‍छा जताई, भारत से दोस्‍ती बढ़ाई
द्विपक्षीय संबंधों के 75 साल पूरे होने पर शुक्रवार को नेपाल में अमेरिकी दूतावास ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें पीएम देऊबा भी शामिल हुए। इसी दिन अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी ट्वीट करके कहा कि नेपाल में प्रशासन, आर्थिक विकास और अंतरराष्‍ट्रीय भागीदारी को लेकर अविश्‍वसनीय बदलाव को देखा है।' उन्‍होंने कहा कि हमें इस पर गर्व है। नेपाल में अमेरिकी एमसीसी प्रॉजेक्‍ट को लेकर चीन भड़का हुआ था। चीन ने दो बार खुलकर इसका विरोध किया लेकिन अमेरिकी दबाव में नेपाल को इसे पारित करना पड़ा।
इसके बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी नेपाल आए और बीआरआई को तेजी से लागू करने पर जोर दिया लेकिन नेपाल ने इस पर अनिच्‍छा जताई। वांग यी की इस यात्रा के ठीक बाद देऊबा भारत की यात्रा पर गए जहां उनका जोरदार स्‍वागत हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक यह सब तब हुआ जब नेपाल की वामपंथी पार्टियां यह आरोप लगा रही हैं कि देऊबा सरकार अमेरिका और भारत के प्रति वफदार है। विश्‍लेषकों का कहना है कि अमेरिका इन यात्राओं के जरिए नेपाल को अपने रेडार में बनाए रखना चाहता है।C


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