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अमेरिका की गैर मौजूदगी से मध्य पूर्व में रूस समेत इन देशों का बढ़ेगा प्रभाव

Subhi
24 Aug 2021 2:35 AM GMT
अमेरिका की गैर मौजूदगी से मध्य पूर्व में रूस समेत इन देशों का बढ़ेगा प्रभाव
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काबुल पर तेजी से तालिबानी कब्जे ने अमेरिका की आतंक के खिलाफ लड़ाई पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।

काबुल पर तेजी से तालिबानी कब्जे ने अमेरिका की आतंक के खिलाफ लड़ाई पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। सामरिक विश्लेषकों का मानना है कि वाशिंगटन की गैर मौजूदगी से मध्य पूर्व में रूस, चीन, तुर्की और ईरान का प्रभाव बढ़ेगा। साथ ही इस क्षेत्र की कई सरकारें महाशक्ति अमेरिका के प्रति अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करेंगी।

जानकारों का कहना है, जो अफगानिस्तान में हुआ है, वह आगे इराक में भी देखने को मिल सकता है। वहां अमेरिका ने उन्नत हथियार, विमान और सैन्य सलाहकारों में जमकर निवेश किया है। मोसुल का उदाहरण हमारे सामने है, जहां जून 2014 में 30 हजार इराकी सैनिक 1500 आईएस को शहर पर कब्जा करने से नहीं रोक पाए थे।
द वाशिंगटन इंस्टीट्यूट के अध्येता बिलाल वहाब ने अफगानिस्तान और इराक के बीच कई समानताओं का उल्लेख किया है। उनका कहना है, अफगानिस्तान की तरह इराक में भी विभाजित सरकार है, जो सैन्य क्षमताओं से ज्यादा राजनीति को तवज्जो देती है। इराकी सरकार और सेना भी आतंकियों का सामना करने से कतराती है। यही वजह है कि 2011 में इराक से लौटने के बाद आईएस को रोकने के लिए अमेरिका को फिर वहां जाना पड़ा था।
ईरान खुश, शरणार्थी बने चिंता
90 के दशक में जब तालिबान ने सत्ता कब्जाई थी तब ईरान उसके खिलाफ नॉर्दर्न अलायंस का हिस्सा था। हालांकि, तेहरान खुश है कि अब अफगान जमीन पर अमेरिका मौजूद नहीं है। लेकिन उसे अपनी सीमा पर अफगान शरणार्थियों की बाढ़ की भी चिंता सता रही है। लिहाजा, उसे सीमा सुरक्षा बल की तैनाती बढ़ानी पड़ेगी।
सऊदी अरब चाहता है आधुनिक अफगानिस्तान
सऊदी अरब ने 9/11 हमले से पहले तालिबान सरकार को मान्यता दी थी। बाद में अफगानिस्तान में कई बड़े हाईवे का निर्माण सऊदी अरब ने ही कराया। सबसे बड़ी मस्जिद भी सऊदी पैसों से बनी है। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान आधुनिक अफगानिस्तान की पैरवी कर रहे हैं।
तुर्की की पकड़ बढ़ाने की योजना
तुर्की शरणार्थियों को जगह दिए बिना अफगानिस्तान में पकड़ बनाना चाहता है। तुर्की काबुल हवाईअड्डे पर अपनी मौजूदगी के लिए अमेरिका से बातचीत कर रहा था। लेकिन तालिबान ने इस योजना को खारिज कर दिया था।

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