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2021 की पौ फटी तो अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस जॉन एस मैक्केन और यूएसएस कर्टिस विल्बर ताइवान स्ट्रेट में थे।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन के विमानवाहक युद्धपोत के ताइवान स्ट्रेट से गुजरने की खबर पुरानी नहीं पड़ी उससे पहले ही अमेरिका ने अपने दो विमानवाहक पोत ताइवान के नजदीकी समुद्र में भेज दिए। 2021 की पौ फटी तो अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस जॉन एस मैक्केन और यूएसएस कर्टिस विल्बर ताइवान स्ट्रेट में थे। ताइवान पर चीन अपना दावा जताता है जबकि अमेरिका उसकी स्वतंत्रता का पक्षधर है।
अमेरिकी युद्धपोत ताइवान स्ट्रेट में पहुंचे जिसे चीन अपना इलाका बताता है
2020 में यह 13 वां मौका था जब अमेरिकी युद्धपोत ताइवान स्ट्रेट में पहुंचे जिसे चीन अपना इलाका बताता है। अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के युद्धपोत यह दावा करते हुए यहां से गुजरते हैं कि अंतरराष्ट्रीय जल में सभी को आवागमन का अधिकार है।
चीन को अमेरिका का कड़ा संदेश
अमेरिका ताइवान स्ट्रेट को दो देशों के मध्य का जलमार्ग मानता है। इससे पहले 12 अगस्त को चीन पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित अपने डिएगोगार्शिया सैन्य अड्डे पर तीन बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमान तैनात किए थे। ये विमान रडार की पकड़ में आए बगैर परमाणु बम गिराने में सक्षम हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका ने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव के मद्देनजर इन विमानों की तैनाती की है। इसके जरिये चीन को संदेश दिया गया है।
अमेरिका चीन की नजदीक से निगरानी कर रहा
उल्लेखनीय है कि हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र के सैन्य मसलों पर अमेरिका डिएगोगार्शिया से ही नजर रखता है। 2020 के अंतिम महीनों में क्षेत्र में छह बी-52 बमवर्षकों की तैनाती और विमानवाहक युद्धपोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन व यूएसएस निमित्ज का दौरा बताता है कि अमेरिका चीन की नजदीक से निगरानी कर रहा है।
ताइवान के मामले में अमेरिका ने चीन को दी चेतावनी
अमेरिका ने ताइवान के मामले में भी चीन को चेतावनी दे रखी है कि उसकी द्वीपीय देश के खिलाफ कोई भी कार्रवाई भारी पड़ सकती है। ताइवान भी अमेरिकी समर्थन के दम पर ही अपनी स्वतंत्रता का दावा करता है। बीते साल में ताइवान ने अमेरिका के साथ 62 अरब डॉलर (4.53 लाख करोड़ रुपये) का बड़ा हथियार सौदा किया है। इस सौदे के तहत अमेरिका ताइवान को एस-16 लड़ाकू विमानों का अत्याधुनिक संस्करण देगा।
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