अफगानी सेंट्रल बैंक ने शनिवार को अमेरिका के उस फैसले की आलोचना की, जिसमें उसने फ्रीज किए गए सात अरब डालर के अफगानी कोष का अफगानिस्तान की मानवीय मदद और 11 सितंबर, 2001 को हुए हमले के पीड़ितों में बंटवारे का एलान किया है। सेंट्रल बैंक ने इस फैसले को अफगानिस्तान की जनता के साथ अन्याय करार दिया है।
अमेरिका का फ्रीज फंड के बंटवारे का फैसला अफगानियों से अन्याय : डीएबी
अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक डीएबी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, 'हम अफगानिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को मुआवजा या मानवीय मदद के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे। इस फैसले को बदला जाए और समस्त विदेशी मुद्रा भंडार अफगानिस्तान को सुपुर्द किया जाए।'
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गत शुक्रवार को फ्रीज की गई नौ अरब डालर की अफगानी संपत्ति में से सात अरब डालर को निर्गत करने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया है। इस राशि को 9/11 हमले के पीड़ितों और अफगानिस्तान की मानवीय मदद के लिए बांटा जाएगा। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने अफगानी संपत्ति को जब्त कर लिया था।
पूर्व अफगान राष्ट्रपति ने फ्रीज हुए फंड को लेकर बाइडन के आदेश को अत्याचार बताया
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने रविवार को व्हाइट हाउस के उस आदेश, जिसमें 9/11 के पीड़ितों के परिवारों के लिए अमेरिका में रखी गई अफगान संपत्ति में से 3.5 अरब डालर की राशि को मुक्त करने का आदेश दिया गया है, यह अफगान लोगों के खिलाफ अत्याचार है। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने एक खचाखच भरे समाचार सम्मेलन में अमेरिकियों, विशेष रूप से 9/11 के आतंकवादी हमलों में मारे गए हजारों लोगों के परिवारों से मदद मांगी, ताकि पिछले सप्ताह के आदेश को रद करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन पर दबाव डाला जा सके। उन्होंने इसे 'अन्यायपूर्ण और अनुचित' कहा। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानी भी अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन के शिकार हुए।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने फंड को कर दिया था फ्रीज
अगस्त महीने में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने अफगान सेंट्रल बैंक से संबंधित अरबों डालर की संपत्ति को भी फ्रीज कर दिया था। इसके अतिरिक्त आइएमएफ ने भी अफगानिस्तान के लिए फंड को रोक दिया था।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतेरस ने कहा था कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था 'बनने या बिखरने की स्थिति' का सामना कर रही है और उन्होंने दुनिया से देश की अर्थव्यवस्था को चरमराने से बचाने का आग्रह किया था।