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चीन Islands के राजनेताओं और कारोबारियों से बढ़ा रहा करीबी
वेलिंगटन, एजेंसी। अमेरिका ने शुक्रवार को सोलोमन द्वीप में अपना दूतावास खोलने का एलान किया। इसे दक्षिण प्रशांत देश में चीन के मजबूत होने से पहले अमेरिकी प्रभाव बढ़ाने की योजना कहा जा सकता है।अमेरिकी संसद में पेश विदेश विभाग की एक अधिसूचना में इसके कारणों की व्याख्या की गई है। विदेश विभाग ने कहा है कि सोलोमन द्वीपवासियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के मैदान में अमेरिकियों के साथ अपने इतिहास को संजोया है। लेकिन, अमेरिका को अपनी प्राथमिकता वाले संबंधों को खोने का खतरा था, क्योंकि चीन सोलोमन द्वीप में राजनेताओं व कारोबारियों से अति महत्वाकांक्षा के साथ जुड़ना चाहता है।
इसके लिए वह असाधारण वादों, महंगे बुनियादी ढांचों के लिए कर्ज और ऋण का जाल बुनने जैसे खतरनाक हथकंडों का इस्तेमाल कर रहा है।सात लाख की आबादी वाले देश में नवंबर में हुए दंगों के बाद यह कदम उठाया गया है। शांतिपूर्ण विरोध ने दंगे का रूप ले लिया था, जिसने चीन के साथ देश के बढ़ते संबंधों को लेकर लंबे समय से चल रही क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता, आर्थिक समस्याओं व अन्य चिंताओं को भी उजागर किया। अमेरिका ने पहले भी सोलोमन द्वीप में एक दूतावास खोला था, लेकिन पांच साल बाद वर्ष 1993 में बंद कर दिया था। फिलहाल पड़ोसी पापुआ न्यू गिनी के अमेरिकी राजनयिकों को सोलोमन से मान्यता प्राप्त है। दूतावास खोलने संबंधी घोषणा हिंद-प्रशांत के लिए बाइडन प्रशासन की नई रणनीति के अनुरूप है।
यह चीन के बढ़ते प्रभाव और महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने के लिए इस क्षेत्र में सहयोगियों के साथ साझेदारी पर जोर देती है।आस्ट्रेलिया से प्रशांत क्षेत्र के दौरे की शुरुआत करने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी शनिवार को फीजी में इस योजना की पुष्टि की। इसके बाद वह हवाई के लिए रवाना हो गए, जहां वह उत्तर कोरिया से संभावित खतरों के मुद्दे पर एक वार्ता में जापान व दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों की मेजबानी करेंगे। रायटर के अनुसार, फीजी में पैसिफिक आइलैंड फोरम (पीआइएफ) के क्षेत्रीय नेताओं के वर्चुअल सम्मेलन में ब्लिंकन ने जलवायु परिवर्तन पर वास्तविक कार्रवाई संबंधी चिंताओं और शिकायतों को सुना, जिसमें कहा गया था कि बड़े देशों ने लंबे समय से उनकी अनदेखी की है।
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