रूसी राष्ट्रपति पुतिन के इस कदम से अमेरिका हुआ सावधान, NATO में खलबली- जानें - आखिर क्या है मामला
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फाइल फोटो
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा पर अमेरिका और नाटो सदस्य देशों की नजर टिकी है। पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका और नाटो देश लोकतांत्रिक मूल्यों के नाम पर रूस के खिलाफ दुनिया के मुल्कोु को एकजुट कर रहे हैं। ऐसे मे पुतिन ने भी अपने मित्र राष्ट्रों को एक जुट करना शुरू कर दिया है। पुतिन की ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब बेलारूस में रूसी मिसाइल की तैनाती का नाटो व अमेरिका ने सख्त विरोध किया है। जी-7 और नाटो सम्मेलन के पूर्व रूसी राष्ट्रपति के इस ऐलान के बाद अमेरिका व नाटो की चिंता बढ़ गई है। आइए जानते हैं कि पुतिन की इन दोनों देशों की यात्रा के क्या निहितार्थ हैं।
रूस के संसद के ऊपरी सदन के स्पीकर वेलेंटीना मतविएन्को का हवाला देते हुए कहा कि पुतिन की बेलारूस जाने की भी योजना है। वह बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ एक फोरम में भाग लेने के लिए 30 जून और एक जुलाई को बेलारूसी शहर ग्रोडनो का दौरा करेंगे। इस दौरान वे अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। इसमें रूस और बेलारूस के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की जाएगी। माना जाता है कि इस दौरान पुतिन बेलारूस में मिसाइलों को तैनात करने की औपचारिक मंजूरी भी दे सकते हैं। पुतिन की अंतिम यात्रा फरवरी में बीजिंग की थी। इस दौरान पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इस दौरान दोनों देशों के बीच तेल और गैस आयात को लेकर समझौता भी हुआ था, जिसके अंतर्गत चीन पहले की अपेक्षा रूस से ज्यादा मात्रा में ईंधन का आयात करेगा। इसके लिए दोनों देशों के बीच पाइपलाइन बनाने पर भी सहमति बनी थी।
Edited By: Ramesh Mishra