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रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के इस कदम से अमेरिका हुआ सावधान, NATO में खलबली- जानें - आखिर क्‍या है मामला

Renuka Sahu
29 Jun 2022 3:53 AM GMT
America was wary of this move of Russian President Putin, NATO panic - know what is the matter after all
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फाइल फोटो 

रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की ताजिकिस्‍तान और उज्‍बेकिस्‍तान की यात्रा पर अमेरिका और नाटो सदस्‍य देशों की नजर टिकी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की ताजिकिस्‍तान और उज्‍बेकिस्‍तान की यात्रा पर अमेरिका और नाटो सदस्‍य देशों की नजर टिकी है। पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका और नाटो देश लोकतांत्रिक मूल्‍यों के नाम पर रूस के खिलाफ दुनिया के मुल्‍कोु को एकजुट कर रहे हैं। ऐसे मे पुतिन ने भी अपने मित्र राष्‍ट्रों को एक जुट करना शुरू कर दिया है। पुतिन की ताजिकिस्‍तान और उज्‍बेकिस्‍तान की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब बेलारूस में रूसी मिसाइल की तैनाती का नाटो व अमेरिका ने सख्‍त विरोध किया है। जी-7 और नाटो सम्‍मेलन के पूर्व रूसी राष्‍ट्रपति के इस ऐलान के बाद अमेरिका व नाटो की चिंता बढ़ गई है। आइए जानते हैं कि पुतिन की इन दोनों देशों की यात्रा के क्‍या निहितार्थ हैं।

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान का रूस के साथ मजबूत सैन्य संबंध हैं। इन देशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी बहुत हद तक रूस पर ही निर्भर है। ताजिकिस्तान में रूसी सेना का विदेशी जमीन पर सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है। उन्‍होंने कहा कि अमेरिकी और पश्चिमी देशों के बढ़ते तनाव के बीच रूस अपने सामरिक संबंधों को मजबूत करने में जुटा है। रूस ने अपने सैन्य अड्डे को मजबूत करने के लिए 17 इन्फ्रेंट्री फाइटिंग व्हीकल को ताजिकिस्तान में तैनात किया था। अफगानिस्‍तान में तालिबान शासन के बाद ताजिकिस्तान काफी अहम हो गया है। अफगानिस्‍तान में तालिबान शासन के बाद रूसी राष्‍ट्रपति की ताजिकिस्‍तान की यात्रा काफी अहम मानी जा रही है।
2- रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब नाटो देशों का महासम्‍मेलन शुरू हो रहा है। यूक्रेन जंग में अमेरिका व नाटो सदस्‍य देश रूस की सख्‍त घेराबंदी करने में जुटे हैं। जर्मनी में जी-7 की बैठक में यूक्रेन का ही मुद्दा हावी रहा। इसके बाद नाटो का महासम्‍मेलन होगा। इस सम्‍मेलन में भी यूक्रेन का ही मुद्दा प्रमुख होगा। ऐसे में पुतिन अपने मित्र राष्‍ट्रों को एकजुट करने में जुटे हैं। पुतिन की ताजिकिस्तान यात्रा को इस कड़ी से जोड़कर देखा जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि यूक्रेन जंग में रूस को घेरने के लिए अमेरिका व पश्चिमी देशों की रणनीति के मद्देनजर रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन भी तैयारी कर रहे हैं।
3- उन्‍होंने कहा कि उम्‍मीद के मुताबिक इस सम्‍मेलन में रूस यूक्रेन जंग का मसला ही छाया रहा। सम्मेलन में सभी नेताओं ने संयुक्‍त रूप से बेलारूस को रूसी परमाणु मिसाइल ट्रांसफर करने को गंभीर चिंता करार दिया। इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने कहा कि G-7 देश यूक्रेन के साथ एकजुट हैं, क्योंकि रूस के खिलाफ युद्ध में हार सभी लोकतंत्रों के लिए हार होगी। ड्रैगी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ एक सत्र के दौरान नेताओं से कहा कि हम यूक्रेन के साथ एकजुट हैं, क्योंकि अगर यूक्रेन हारता है, तो यह लोकतंत्र की हार होगी। अगर यूक्रेन हारता है, तो यह तर्क देना कठिन होगा कि लोकतंत्र सरकार का एक प्रभावी माडल है।
पूर्व सोवियत संघ के दो देशों पर पुतिन का दौरा
गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन इस हफ्ते मध्य एशिया के दो पूर्व सोवियत देशों का दौरा करेंगे। रूस की सरकारी मीडिया के अनुसार, यूक्रेन पर आक्रमण का आदेश देने के बाद पुतिन की यह पहली विदेश यात्रा होगी। पुतिन ने 24 फरवरी को स्पेशल मिलिट्री आपरेशन का नाम देकर यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया था। तब से लेकर आज तक दोनों देशों के बीच युद्ध जारी है। राष्ट्रपति पुतिन ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के बाद वह मास्को में बातचीत के लिए इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो से मिलेंगे। दुशांबे में, पुतिन ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली राखमोन से मिलेंगे। राखमोन को पुतिन का करीबी सहयोगी कहा जाता है। वे ताजिकिस्तान पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले शासक हैं। जारुबिन ने बताया कि पुतिन अश्गाबात में अजरबैजान, कजाकिस्तान, ईरान और तुर्कमेनिस्तान के नेताओं सहित कैस्पियन देशों के एक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
पुतिन के बेलारूस जाने का भी योजना

रूस के संसद के ऊपरी सदन के स्पीकर वेलेंटीना मतविएन्को का हवाला देते हुए कहा कि पुतिन की बेलारूस जाने की भी योजना है। वह बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ एक फोरम में भाग लेने के लिए 30 जून और एक जुलाई को बेलारूसी शहर ग्रोडनो का दौरा करेंगे। इस दौरान वे अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। इसमें रूस और बेलारूस के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की जाएगी। माना जाता है कि इस दौरान पुतिन बेलारूस में मिसाइलों को तैनात करने की औपचारिक मंजूरी भी दे सकते हैं। पुतिन की अंतिम यात्रा फरवरी में बीजिंग की थी। इस दौरान पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग के साथ शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इस दौरान दोनों देशों के बीच तेल और गैस आयात को लेकर समझौता भी हुआ था, जिसके अंतर्गत चीन पहले की अपेक्षा रूस से ज्यादा मात्रा में ईंधन का आयात करेगा। इसके लिए दोनों देशों के बीच पाइपलाइन बनाने पर भी सहमति बनी थी।

Edited By: Ramesh Mishra

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