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कई देशों ने लगाए हैं चीन पर आरोप
भारत समेत दुनिया की कई सेनाओं पर इस समय साइबर हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है. जहां भारत ने एक तरफ डिफेंस साइबर एजेंसी (DCA) को शुरू करने का मन बना लिया है, तो वहीं अमेरिका जैसे देश के पास पहले से ही साइबर वॉर से निबटने के लिए एक सेना है. एक प्रतिष्ठित अमेरिकी ऑर्गनाइजेश की तरफ से बताया गया है कि आखिर चीन कैसे साइबर हमला करता है और किसी देश को अपना निशाना बनाता है. इस रिपोर्ट को साइबर वॉरफेयर के लिए काफी अहम माना गया है.
कई देशों ने लगाए हैं चीन पर आरोप
अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित साइबर सिक्योरिटी कंपनी रिकॉर्डेड फ्यूचर ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की पूरी जानकारी दी थी कि आखिर चीन कैसे साइबर हमले को अंजाम देता है. रिकॉर्डेड फ्यूचर एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी है जो विभिन्न देशों के इंटरनेट का इस्तेमाल कर उनका अध्ययन करती है. आपको बता दें कि अमेरिका की इंटलीजेंस एजेंसी एफबीआई ने चीन को अब तक का सबसे बड़ा खतरा करार दिया है.
अमेरिका के अलावा आस्ट्रेलिया, वियतनाम, ताइवान जैसे देशों ने भी चीन पर तरह-तरह के साइबर हमले के आरोप लगाए हैं. आखिर ऐसा क्या है चीन के पास जो वो किसी भी देश को आसानी से निशाना बना लेता है. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्तिक बोमाकांतिक ने भारत और चीन के साइबर आर्मी पर एक रिसर्च पेपर लिखा है. इसके मुताबिक चीन के पास इस तरह के साइबर हमलों को अंजाम देने के लिए एक अलग फोर्स है, जिसे पीएलए- एसएसएफ कहते हैं.
साइबर हमले के लिए पूरी एक फौज
पीएलए-एसएसएफ का मतलब पीपुल्स लिबरेशनआर्मी – स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स. साल 2015 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सेना में कई बदलाव किए थे. उसी दौरान इसकी स्थापना की गई थी. एसएसएफ इस तरह के हमलों को अंजाम देने के लिए पूरी तरह सक्षम है. सिक्योरिटी ट्रेल्स, टूल्स और एनालिटिक्स इंफोर्मेशन सिस्टम का सहारा लेकर वो ऐसा करते हैं. इस फोर्स में कितने लोग शामिल है, हेड कौन है इन सबकी पुख्ता जानकारी बाहर नहीं आती है. अनुमान के मुताबिक़ इस फोर्स में शामिल लोगों की संख्या हजारों में है.
जनरल रैंक के आफिसर होते हैं हेड
पीएलए के जनरल रैंक के अधिकारी इसके मुखिया होते हैं. इस फोर्स के तहत कुछ ऐसे लोग भी काम करते हैं जो एसएसएफ से सीधे नहीं जुड़े होते पर उनके इशारे पर काम करते हैं. वो हैकर्स भी हो सकते हैं, जिनका इस्तेमाल साइबर हमलों के लिए किया जाता है. इसलिए साइबर हमलों के बारे में बात करते हुए हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि हो सकता है कुछ हमलों में एसएसएफ आर्मी के लोग सीधे शामिल ना हों. लेकिन कोई भी हमला उनकी मर्जी के बिना नहीं हो सकता है.
मैलवेयर और ट्रोजन सबसे बड़े हथियार
चीन मैलवेयर और ट्रोजन जैसे उपकरणों की मदद से साइबर हमलों को अंजाम देता है. मैलवेयर वो एक सॉफ्टवेयर होता है है जो किसी सिस्टम की जानकारी या आंकड़े की चोरी के लिए बनाया जाता है. यह प्रोग्राम संवेदनशील आंकड़े चुराने, उसे डिलीट कर देने, सिस्टम के काम करने का तरीका बदल देने और सिस्टम पर काम करने वाले व्यक्ति पर नजर रखने जैसी एक्टिविटी करता है. जबकि ट्रोजन एक तरह का मैलवेयर होता है जो सिक्योरिटी सिस्टम से परे जाकर बैक डोर बनाता है जिससे हैकर आपके सिस्टम पर नजर रख सकता है. यह खुद को किसी सॉफ्टवेयर की तरह दिखाता है और किसी टेम्पर्ड सॉफ्टवेयर में मिल जाता है.
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