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अमेरिका: चीन की आक्रामकता और उसकी ताकत पर लगाम लगाना QUAD देशों का पहला मकसद

Neha Dani
1 Oct 2021 10:25 AM GMT
अमेरिका: चीन की आक्रामकता और उसकी ताकत पर लगाम लगाना QUAD देशों का पहला मकसद
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प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा.

पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा, 'क्वाड के बहुत सारे परिणाम हैं और सभी का चीन से कोई नाता नहीं है. ऐसा नहीं है कि क्वाड का अस्तित्व केवल चीन या उसके प्रभाव का मुकाबला करने के लिए है.'

अमेरिका के रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन (US Defence Department Pentagon) ने कहा कि संसाधन बहुल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन (China) की आक्रामकता और बलप्रयोग की प्रकृति क्वाड (QUAD) देशों के बीच अक्सर चर्चा का विषय रही है.
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के बीच महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिहाज से एक नयी रणनीति विकसित करने के लिए नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने लंबे समय से लंबित क्वाड की स्थापना के प्रस्ताव को आकार दिया था.
अक्‍सर अपने दावों को पेश करता है चीन
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा, 'क्वाड के बहुत सारे परिणाम हैं और सभी का चीन से कोई नाता नहीं है. ऐसा नहीं है कि क्वाड का अस्तित्व केवल चीन या उसके प्रभाव का मुकाबला करने के लिए है.' उन्होंने कहा, 'जाहिर है हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन क्या कर रहा है, जिस आक्रामकता, बलप्रयोग के जरिए वह अपने दावों को पेश करने की कोशिश करता है, निश्चित रूप से यह क्वाड में हमारे सभी सहयोगियों तथा भागीदारों के साथ लगातार चर्चा का एक विषय रहा है.'
25 सितंबर को हुई थी क्‍वाड की पहली मीटिंग
किर्बी ने कहा, 'क्वाड व्यवस्था हमें सभी प्रकार की पहलों पर बहुपक्षीय रूप से काम करने का एक और शानदार अवसर प्रदान करती है, जो हमें वास्तव में एक स्वतंत्र एवं खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाने में मदद कर सकता है, जैसा कि हम चाहते हैं। इसमें काफी कुछ है और हर चीज का चीन से नाता नहीं है.' 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया और जापान के अपने समकक्षों के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित क्वाड नेताओं की पहली आमने-सामने की बैठक में भाग लिया था.
साउथ चाइना सी पर आक्रामक चीन
हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत की पृष्ठभूमि में भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां क्षेत्र को एक स्वतंत्र, खुला और संसाधन संपन्न क्षेत्र बनाने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हैं. चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी क्षेत्र पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर अपना दावा करते हैं. चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान भी बनाए हैं.
भारत की तरफ आया बयान
पेंटागन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत की तरफ से चीन की कारगुजारियों पर नया बयान जारी किया गया है. गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से भी चीन को लेकर बड़ा बयान दिया गया था. मंत्रालय ने कहा था कि चीन ने लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती की है.
चीन की कार्रवाई की प्रतिक्रिया में भारतीय सशस्त्र बलों को उचित जवाबी तैनाती करनी पड़ी है. भारत सरकार की मानें तो चीन की तरफ से भारत पर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, उनका 'कोई आधार नहीं है' और भारत उम्मीद करता कि चीनी पक्ष द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा.


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