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इस नियम का पालन तब तक नहीं हो सकता जब तक कि यह स्पष्ट न हो कि 15 अगस्त, 2021 से अफगानिस्तान में शासन किसका है।
अमेरिका ने कतर में हुई बातचीत के बाद कहा कि वह तालिबान को कभी मान्यता नहीं देगा। लेकिन वह अफगानिस्तान को मानवीय सहायता जरूर उपलब्ध कराता रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार तालिबान के वरिष्ठ प्रतिनिधियों और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के बीच अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की अगस्त में वापसी के बाद पहली बार आमने-सामने बैठक हुई।
बैठक को लेकर तालिबान ने कहा कि उनकी चर्चा ठीक हुई है। द हिल की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देने के लिए अमेरिका तैयार है। तालिबान ने भी कहा कि वह विदेशी नागरिकों को आवाजाही की सैद्धांतिक सुविधा मुहैया कराएगा। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका की प्रमुख वरीयताओं में अफगानिस्तान से अमेरिका के लिए सुरक्षित रास्ता मुहैया कराना है। खासकर अन्य विदेशी नागरिकों और अफगानों को विशेष प्रतिबद्धता के तहत अफगानिस्तान छोड़कर जाने की छूट दी जाएगी।
द हिल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता ने कहा कि यह बैठक मान्यता देने के लिए या फिर वैधता प्रदान करने के लिए नहीं है। अपने देश में आतंकवाद को नहीं पनपने देने का बार-बार वादा करने के बावजूद तालिबान कुंडुज की मस्जिद में बमबारी को नहीं रोक सका जिसकी जिम्मेदारी बाद में आइएस ने ली थी। उन्होंने कहा कि तालिबान को उसकी गतिविधियों के आधार पर आंका जाएगा।
स्पष्ट करें अफगानिस्तान का प्रतिनिधि कौन?
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आइसीसी) ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को स्पष्ट करने को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अफगानिस्तान के प्रतिनिधि की पहचान करके बताएं। चूंकि अब तालिबान ही अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज है।
आइसीसी के जज ने कहा कि कोर्ट यह निर्णय नहीं ले पा रहा है कि अफगानिस्तान में युद्ध अपराधों पर मुकदमा कैसे शुरू करें, जबकि वहां पर यह स्पष्ट नहीं हो कि अफगानिस्तान में आधिकारिक रूप से शासन कौन कर रहा है। चूंकि यही अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत मान्य है। इस नियम का पालन तब तक नहीं हो सकता जब तक कि यह स्पष्ट न हो कि 15 अगस्त, 2021 से अफगानिस्तान में शासन किसका है।
Neha Dani
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