खबरों में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने रूजवेल्ट की प्रतिमा को जंजीरों से बांध दिया और इसके आधार को गिराना शुरू कर दिया। उन्होंने इस पर लाल रंग भी डाला। प्रदर्शनकारियों ने रात नौ बजे से पहले रूजवेल्ट की प्रतिमा गिरा दी। इसके बाद उनका ध्यान लिंकन की प्रतिमा की ओर गया। आठ मिनट बाद उन्होंने उनकी प्रतिमा भी गिरा दी। प्रतिमाओं को गिराने के बाद क्रुद्ध भीड़ ने ओरेगन हिस्टोरिकल सोसायटी की खिड़कियों को तोड़ना शुरू कर दिया।
उल्लेखनीय है कि पोर्टलैंड पहले भी नस्लीय भेदभाव और पुलिस बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शनों का गढ़ रहा है। बीते दिनों पोर्टलैंड की संघीय इमारतों के बाहर दक्षिणपंथी और वामपंथी समूहों के प्रदर्शन हिंसक होने के चलते पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा था। बीते अगस्त महीने में हिंसा पर काबू न होता देख पुलिस ने प्रदर्शन को दंगा घोषित कर दिया था। बताया जाता है कि प्रदर्शनों में पथराव के दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इन प्रदर्शनों को निशाने पर लेते रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने कहा था कि वह अंदरूनी शत्रुओं, वामपंथियों, लुटेरों और आंदोलनकारियों से अमेरिका के मूल्यों को सुरक्षित रखेंगे। हम गुस्सैल भीड़ को प्रतिमाओं को गिराने की, इतिहास का सफाया करने की और बच्चों को सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा कराने की इजाजत कभी नहीं देंगे। हम साल 1492 में शुरू हुए जीवन जीने के अमेरिकी तरीके को बचाएंगे और उसकी रक्षा करेंगे।