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शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने तिब्बत में चीन के दमन के खिलाफ अन्य देशों से ठीक वैसा ही कानून |
शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने तिब्बत में चीन के दमन के खिलाफ अन्य देशों से ठीक वैसा ही कानून उनके यहां बनाने की अपील की है जैसा अमेरिका ने बनाया है।
अमेरिका में तिब्बत मामलों के विशेष समन्वयक रॉबर्ट ए. डेस्ट्रो ने तिब्बत में चीनी दमनकारी नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका तिब्बती इलाके में राजनयिकों, पत्रकारों और विदेशियों की पहुंच मुहैया कराने की मांग करता रहेगा।
बता दें कि अमेरिका ने कानून बनाकर तिब्बत में विदेशी लोगों की यात्राओं पर रोक लगाने वाले चीनी अधिकारियों को अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। डेस्ट्रो ने कहा कि अन्य देशों को भी चीन की गलत नीतियों के खिलाफ कानून बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अमेरिका तिब्बत में विदेशी राजनयिकों, पत्रकारों की पहुंच बनाने की मांग उसी तरह करता रहेगा जिस तरह की पहुंच चीनी राजनयिकों, पत्रकारों और नागरिकों को संबंधित देशों में हासिल है।
डेस्ट्रो ने कहा, तिब्बत में पहुंच और पारदर्शिता का दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने पारस्परिक तिब्बत अधिनियम बनाया है। यह कानून 2018 से अमेरिका में लागू है। इसमें उन चीनी अधिकारियों के अमेरिका में प्रवेश नहीं देने के लिए कहा गया है जो तिब्बत में विदेशियों की यात्रा प्रतिबंधित करने में शामिल हैं।
चीन के और नागरिकों पर लगाई वीजा पाबंदी
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने चीन के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाते हुए उन उन अधिकारियों और लोगों पर वीजा पाबंदी लगा दी है जो अन्य देशों को प्रभावित करने के अभियानों में लिप्त हैं।
विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि ये पाबंदियां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों अथवा 'संयुक्त मोर्चा कार्य विभाग' की ओर से दुष्प्रचार अथवा प्रचार अभियान में शामिल होने वाले किसी भी शख्स पर लागू होगी।
उन्होंने कहा कि इस कदम का मकसद यह दिखाना है कि 'जो भी नियम-कायदा आधारित अंतरराष्ट्रीय क्रम का उल्लंघन करने वाले कार्यों के लिए जिम्मेदार है, उनका अमेरिका में स्वागत नहीं है।'
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