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अमेरिका ने इराक, अफगानिस्तान के बाद मुश्किल वक्त में छोड़ा एक और देश का साथ, अपना मिसाइल डिफेन्स सिस्टम हटाया

Renuka Sahu
13 Sep 2021 12:59 AM GMT
अमेरिका ने इराक, अफगानिस्तान के बाद मुश्किल वक्त में छोड़ा एक और देश का साथ, अपना मिसाइल डिफेन्स सिस्टम हटाया
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान से सैन्य वापसी समेत कई अन्य घटना क्रम इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि अमेरिका अब पुलिसमैन की भूमिका से पल्ला झाड़ना चाहता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान से सैन्य वापसी समेत कई अन्य घटना क्रम इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि अमेरिका अब पुलिसमैन की भूमिका से पल्ला झाड़ना चाहता है। बाइडन के हालिया बयान के आधार पर विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि अमेरिका अब विभिन्न देशों में सैन्य हस्तक्षेप की नीति से किनारा करना चाहता है। बाइडन ने कहा था-अफगानिस्तान से वापसी का फैसला केवल अफगानिस्तान तक सीमित नहीं है, अनवरत चलने वाले युद्ध को खत्म करने का समय आ गया है।

इस पर मर्केट लॉ स्कूल के प्रोफेसर चार्ल्स फ्रैंकलिन कहते हैं-अमेरिका अब उस तरह की अंतरराष्ट्रीय भूमिका निभाने के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है जैसा की 1990 के दशक तक निभाता आया है। बाइडन के बयान पर अटलांटिक काउंसिल में यूरोप सेंटर के निदेशक बेंजामिन हद्दाद ने कहा-अमेरिकी सैन्य ताकत और दुनियाभर में सैन्य हस्तक्षेप को पसंद करने वाले अमेरिकियों को धक्का लगा है, पिछले दशकों में किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा उदार अंतरराष्ट्रीयवाद को अस्वीकृत करने का यह पहला मामला है। ये चार अन्य आधार भी अमेरिकी नीति में परिवर्तन का संकेत देते हैं।
1-सऊदी अरब से मिसाइल डिफेंस सिस्टम हटाया:
सऊदी अरब में यमन के हूती विद्रोहियों की ओर से हमला जारी है, लेकिन अमेरिका ने मिसाइल डिफेंस प्रणाली और पैट्रियाट बैटरी को सऊदी अरब से हटा लिया है। सऊदी अरब के मित्र राष्ट्र होने के बावजूद यह फैसला लिया गया। राइस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता क्रिस्टियन उलरिचसेन कहते हैं- ओबामा, ट्रंप और अब बाइडन प्रशासन ने सऊदी अरब से पीछा छुड़ाने के फैसले लिए। इसके पहले रियाद से 150 किलोमीटर दूर स्थित प्रिंस सुल्तान एयरबेस पर वर्ष 2019 में ड्रोन हमले के बाद से अमेरिकी सैनिक तैनात रहते थे।
2-अफगानिस्तान से 20 साल बाद वापसी :
तालिबान से समझौते के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी का फैसला किया। अमेरिका के इस फैसले की खुद उसके देश में तीखी आलोचना की गई। वर्ष 2021 में 9/11 हमले की 20वीं बरसी पर एक तरफ अमेरिका में शोक मनाया जा रहा था, तो तालिबान अपने नए झंडे का काबुल में ध्वजारोहण कर रहा था। लेकिन अमेरिका तमाम आलोचनाओं और साख पर आती आंच के बावजूद फैसले पर डटा रहा। अफगानिस्तान में 1000 अरब डॉलर से अधिक रकम बहाने के बाद अमेरिका ने आखिरकार साफ कर दिया कि वह अपने सैनिकों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकता, अफगान सेना को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। ये बयान नीति परिवर्तन की ओर स्पष्ट इशारा करते हैं।
3-इराक से 18 साल बाद बोरिया-बिस्तर समेटा:
इराक में सद्दाम हुसैन का अंत करने के लिए वर्ष 2003 में अमेरिकी सेना ने सैन्य अभियान शुरू किया, लेकिन 18 साल बाद इसे अपना बोरिया बिस्तर लपेटना पड़ा। अमेरिका ने ऐलान किया है कि उसके बचे हुए करीब ढाई हजार सैनिक भी इस साल के अंत तक वापस आ जाएंगे। वर्ष 2008 में इराक में अमेरिका के सर्वाधिक सैनिक 1.57 लाख सैनिक हुआ करते थे।
4-राष्ट्रपति बाइडन का रुख :
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज को वापस बुलाने के फैसले को तार्किक और उचित मानते हैं। उनके मुताबिक अफगानिस्तान के बारे में फैसला केवल अफगानिस्तान के तक सीमित नहीं है। इसी आधार विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि अमेरिका की रुचि वैश्विक पुलिसमैन की भूमिका निभाने में अब नहीं रही। इसके अलावा बाइडन ने गत गुरुवार को सात महीने बाद पहली बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच कारोबारी प्रतिस्पर्धा के संघर्ष में नहीं बदलने के मुद्दे पर समझ बढ़ी है, जिसे नरमी का संकेत माना जा रहा है।
अंतहीन युद्ध नहीं चाहता अमेरिका :
दूसरों देशों के हित के लिए सैन्य हस्तक्षेप करने की नीति को लेकर अमेरिका में अब मंथन चल रहा है। बाइडन प्रशासन अंतहीन युद्ध का अंत चाहता है। तीन दशक से अधिक समय के दौरान सांसद के रूप में बाइडन ने हमेशा से अमेरिकी सेना की विदेशों में तैनाती और दुश्मन देशों पर हमले का विरोध किया है। बाइडन की शिकायत रहती थी कि संसद से पहले मंजूरी लिए बगैर ही सरकार हमले कर देती है। राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडन पर नीति बदलने का दबाव है। अमेरिका के अन्य सांसद भी अब सैन्य हस्तक्षेप की नीति को पुराना और चलन से बाहर का तरीका करार देने लगे हैं।


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