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वैक्सीन को लेकर सामने आई ये चौंकाने वाली खबर
एक ओर जहां दुनिया में लोगों के बीच कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवाने की होड़ लगी हुई है तो वहीं अमेरिका (America) में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं. अमेरिका में 25 फीसदी लोग ऐसे हैं जो सुई (Needle) लगवाने से डर के चलते वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं. देश में ऐसे लोगों को कई तरह के लालच दिए गए लेकिन बियर या लॉटरी के लालच के बाद भी ये लोग वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं.
अमेरिका की ऑगस्टा यूनिवर्सिटी के पेन मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट एमी बैक्सटर ने बताया कि रिसर्च में सामने आया है कि दर्द, बेहोशी, घबराहट जैसी चीजों के चलते वयस्क सुई लगवाने से डरते हैं. 1995 में जे. जी. हैमिल्टन ने एक अध्ययन किया था जिसके बाद से सुई का डर अचानक बढ़ा है. अपनी रिसर्च में हैमिल्टन ने बताया कि 10 फीसदी वयस्क और 25 फीसदी बच्चों में सुई का डर देखा गया था.
बूस्टर इंजेक्शन से पैदा होता है डर
अध्ययन में उन्होंने बताया कि पांच साल की उम्र में उन्होंने सुई लगवाने के दौरान डर का अनुभव किया था. 1980 के बाद जन्म लेने वाले ज्यादातर लोगों में, 4 से 6 साल की उम्र के बीच दिए गए बूस्टर इंजेक्शन उनके लिए वैक्सीन का एक सामान्य अनुभव बन गए. ये इंजेक्शन शरीर में प्रतिरक्षा को तो बढ़ाते थे लेकिन इनसे मन में सुई के लिए एक डर बैठ जाता था.
इसी तरह एक हजार से अधिक बच्चों पर 2012 में हुए एक कनाडाई अध्ययन में सामने आया कि 2000 या उसके बाद पैदा होने वाले लोगों में से 63 फीसदी लोग सुई से डरते हैं. 2017 में हैमिल्टन ने पुष्टि करते हुए बताया कि जिन प्रीस्कूलर्स ने एक दिन में अपने सभी बूस्टर इंजेक्शन यानी करीब चार से पांच इंजेक्शन लगवाई होती थीं उनमें सुईयों से गंभीर डर देखा गया.
सुई से डर के चलते नहीं लगवाते टीका
यही सुई का डर लोगों में वैक्सीन लगवाने की इच्छा को प्रभावित कर रहा है. 2016 की एक रिसर्च में सामने आया कि सुई से डर के चलते किशोरों ने एचपीवी का दूसरा टीका नहीं लगवाया. वहीं 2018 की रिसर्च में देखा गया कि 27 फीसदी अस्पताल कर्मचारियों ने सुई से डर के चलते फ्लू की वैक्सीन नहीं लगवाई. कोविड-19 वैक्सीन की बात करें तो 600 अमेरिकी एडल्ट्स पर किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 52 फीसदी लोगों ने डर के चलते टीका नहीं लगवाया.
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