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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: अमेरिकी सरकार ने यूक्रेन युद्ध के बीच रूस के साथ संयुक्त सैन्याभ्यास में भारत के भाग लेने की योजनाओं को लेकर चिंता जताई है. हालांकि, अमेरिकी सरकार का कहना है कि हर देश के पास अपने खुद के फैसले लेने का अधिकार है. इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका इन सैन्याभ्यासों में दखल नहीं देगा. इस सैन्याभ्यास पर कई देशों की नजर होगी क्योंकि चीन, ताइवान का मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गरमाया हुआ है. दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी से युद्ध जारी है.
रूस ने पिछले महीने वोस्तोक सैन्याभ्यास करने की योजनाओं का ऐलान किया था, जिसमें बेलारूस, चीन, मंगोलिया और तजाकिस्तान भाग लेंगे. वोस्तोक 2022 (Vostok 2022) सैन्याभ्यास रूस सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ प्रमुख वालेरी गेरासिमोव की अगुवाई में होगा. सैन्याभ्यास पांच सितंबर से शुरू हो सकता है.
इससे पहले रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि सैन्याभ्यास में भाग लेने वाले देश पूर्वी क्षेत्र में अपनी सैन्य सुरक्षा बनाए रखने का अभ्यास करेंगे.
रूस के साथ इस सैन्याभ्यास में हिस्सा लेने में भारत की संभावित भागीदारी के बारे में पूछने पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने कहा, रूस के साथ किसी भी देश के सैन्याभ्यास को लेकर अमेरिका चिंतित है. रूस ने बिना किसी उकसावे के यूक्रेन पर हमला किया है. लेकिन यह भी जाहिर है कि हर देश अपने हिसाब से फैसले लेने के लिए मुक्त है और मैं यह फैसला उन देशों पर छोड़ती हूं.
यह पूछने पर कि इस मामले में भारत पर दबाव क्यों नहीं बनाया जा रहा है. इस पर जीन पियरे ने कहा, हमें रूस के साथ सैन्याभ्यास में हिस्सा लेने वाले हर देश को लेकर चिंता है.
यह पूछने पर कि क्या अमेरिका इस बारे में किसी तरह की कार्रवाई करेगा या किसी तरह की कार्रवाई की योजना है? इस पर उन्होंने कहा, मेरे पास इसका जवाब नहीं है. हमने हर चीज पर खुलकर बात की है. मैंने अन्य देशों से भी इस बारे में सवाल पूछा है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत एशिया में अमेरिका के रणनीतिक मामलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंध बीते 15 सालों में तेजी से बढ़े हैं.
इससे पहले भारत और रूस के बीच 5.4 अरब डॉलर का सौदा हो चुका है, जिसके तहत एस-400 डिफेंस सिस्टम की पांच खेप भारत को सौंपी जाएगी. इस साल जून की शुरुआत में भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने कहा था कि एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की यह खेप तय समय के अनुरूप ही भारत को सौंप दी जाएगी.
अमेरिकी एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी रणनीति के लिए भारत महत्वपूर्ण बना हुआ है. बता दें कि रूस के इस व्यापक सैन्याभ्यास वोस्तोक 2022 में चीन भी हिस्सा लेने जा रहा है. यूक्रेन पर हमले के बाद यह रूस में पहला व्यापक बहुराष्ट्रीय सैन्याभ्यास होगा.
यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस कई देशों के निशाने पर है. अमेरिका सहित कई यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. लेकिन इस मामले पर भारत का शुरुआत से ही तटस्थ रुख रहा है. संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ पारित प्रस्ताव में भी भारत गैर हाजिर रहा है.
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